चिकित्सकों की माने तो गठिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें एक या उससे अधिक जोड़ों में दर्द और सूजन होती है। गठिया खुद को किसी भी प्रकार में प्रकट कर सकता है जैसे कि रूमेटी गठिया, ऑस्टियो आर्थराइटिस, गाउट, जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस और स्पोंडीलोसिस आदि। हालांकि गठिया बुढ़ापे की निशानी मानी जाती है। चिकित्सकों के अनुसार गठिया ६५ साल या उससे अधिक के उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। लेकिन फिर भी बच्चों समेत सभी उम्र के लोगों को यह रोग जकड़ सकता है। अनुमान है कि १८ और ४० साल की उम्र के बीच हर १० में ४ लोग इससे ग्रस्त हो जाते हैं। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि गठिया के लिए आयुर्वेद चिकित्सा करके इसके दर्द से राहत पा सकते हैं। उनके अनुसार गठिया एक वात रोग है जिसका कारण कॉन्सटिपेशन,गैस, एसिडिटी, अव्यवस्थित जीवनशैली और अनियमित खान—पान आदि में से कुछ भी हो सकता है। कई बार शारीरिक श्रम कम होने और मानसिक श्रम अधिक होने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। गठिया में पहले तो कुछ सावधानी और डाइट पर ध्यान देना अति आवश्यक है। जैसे इस बीमारी में रोगी को ठंड से पूरी तरह बचना होगा। नहाने के दौरान गर्म पानी का इस्तेमाल करें और सूजन वाले स्थान पर बालू की थैली या गर्म पानी का पैड से सिकाई करें। रोगी को अपनी शक्ति के अनुसार हल्का व्यायाम जरूर करना चाहिए। साथ ही गठिया के मरीजों को अधिक तेल व मिर्च वाले भोजन से परहेज और डाइट में प्रोटीन की अधिकता वाली चीजें नही लेनी चाहिए। भोजन में बथ्आ, मेथी, सरसों का साग, लौकी , अंगूर, अनार, पपीता, आदि का सेवन फायदेमंद है। इसके अलावा, नियमित रूप से अदरक आदि का सेवन भी इसके उपचार में फायदेमंद है।
सुभाषित तृणानि नोन्मूल पति प्रभंजनो मुदूनि नीचै: प्रणतानि सर्वत:।
समुच्छितानेव तरुन्प्रबाधते महान्महत्येव करोति विक्रमम् ।।
वायु विनम्र तथा झुकी रहने वाली घासों को नहीं: बल्कि सिर उठाने वाले बड़े—बड़े वृक्षों को ही उखाड़ फैकती है। बड़े लोग बड़ों पर ही अपनी वीरता दिखाते हैं।