रचयित्री-आर्यिका चंदनामती
तर्ज-दिवाना गुरुवर का…….
आरती गुरु माँ की-२
करें सभी मिल करके-आरती गुरु माँ की।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी की करें आरतिया,
आरती गुरु माँ की।।टेक.।।
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर चमत्कार पैâलाया।
पर्वत पर इक सौ अठ फुट के ऋषभदेव प्रगटाया।।
सबसे बड़ी माता ने सबसे बड़े प्रभू को बनाया,
आरती गुरु माँ की-२।।१।।
कई और तीर्थों को विकसित कर इतिहास बनाया।
तीर्थंकर की जन्मभूमियों का विकास करवाया।।
तीर्थ हस्तिनापुरी अयोध्या कुण्डलपुर चमकाया,
आरती गुरु माँ की-२।।२।।
चार शतक ग्रंथों को लिखकर जिनधर्म की कीर्ति बढ़ाई।
षट्खण्डागम सूत्रों पर संस्कृत टीका है रचाई।।
महावीर युग की तुम माता प्रथम लेखिका मानी,
आरती गुरु माँ की-२।।३।।
प्रथम बालयोगिनी बीसवीं-सदि की हो तुम माता।
हो जीवन सरस्वति युग की, अभिनव ब्राह्मी माता।।
दिव्यशक्ति चारित्रचन्द्रिका, विश्वविभूति माता,
आरती गुरु माँ की-२।।४।।
शरदपूर्णिमा का यह चन्दा, ज्ञानामृत बरसाए।
शांति सिंधु उपवन की खुशबू चारों दिश महकाए।।
इनकी आरति से ही ‘‘चन्दनामती’’ ज्ञान मिल जाए,
आरती गुरु माँ की-२।।५।।