रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती
पूजन करो जी-
ज्ञानमती जी नाम तुम्हारा, ज्ञान सरित अवगाहन है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।।
मुझ अज्ञानी ने माँ जबसे, तेरी छाया पाई है।
तब से दुनिया की कोई छवि, मुझको लुभा न पाई है।।
ज्ञानामृत जल पीने हेतू, तव पद में मेरा मन है।
तेरी पावन प्रतिभा लखकर, मेरा मन भी पावन है।।१।।
हे माँ तू ज्ञान गंग की पवित्र धार है।
ज्ञानमती को नित नमूँ, ज्ञान कली खिल जाय।
धुन- नागिन…..
जो गणिनी ज्ञानमती माता की, करें सदा पूजा रुचि से।