जन्मस्थान : टिकैटनगर (बाराबंकी) उ.प्र.
जन्मतिथि : आसोज सुदी १५ (शरदपूर्णिमा) वि. सं. १९९१(सन् १९३४)
गृहस्थ का नाम : कु. मैना
माता-पिता : श्रीमती मोहिनी देवी एवं श्री छोटेलाल जैन
आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत एवं गृहत्याग : ई. सन् १९५२ में बाराबंकी में शरदपूर्णिमा के दिन आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज से।
क्षुल्लिका दीक्षा : चैत्र कृ. १, ई. सन् १९५३ को महावीरजी क्षेत्र (राज.) में
आर्यिका दीक्षा : वैशाख कृ. २, ई. सन् १९५६ को माधोराजपुरा (राज.) में चारित्रचक्रवर्ती १०८ आचार्यश्री शांतिसागर जी की परम्परा के प्रथम पट्टाधीश आचार्य श्री वीरसागर जी के करकमलों से।
साहित्यिक कृतित्व :
अष्टसहस्री, समयसार, नियमसार, मूलाचार, कातंत्र-व्याकरण, षट्खण्डागम आदि ग्रंथों के अनुवाद/टीकाएं एवं २५० विशिष्ट ग्रंथों की लेखिका।
१९९५ में अवध वि.वि. (पैâजाबाद) द्वारा ‘‘डी.लिट्.’’ की मानद उपाधि से विभूषित।
तीर्थ निर्माण प्रेरणा :
िहस्तिनापुर में जंबूद्वीप तीर्थ का निर्माण, शाश्वत तीर्थ अयोध्या का विकास एवं जीर्णोद्धार, तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली प्रयाग तीर्थ का निर्माण, तीर्थंकर जन्मभूमियों का विकास, भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) में ‘नंद्यावर्त महल’ नामक तीर्थ निर्माण, मांगीतुंगी में १०८ फुट उत्तुंंग भगवान ऋषभदेव की विशाल प्रतिमा का निर्माण।
महोत्सव प्रेरणा :
पंचवर्षीय जम्बूद्वीप महामहोत्सव, भगवान ऋषभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव, अयोध्या में १० वर्षीय भगवान ऋषभदेव महाकुंभ मस्तकाभिषेक, कुण्डलपुर महोत्सव, भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव ।
शैक्षणिक प्रेरणा :
जैन गणित और त्रिलोक विज्ञान’ पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, राष्ट्रीय कुलपति सम्मेलन, इतिहासकार सम्मेलन, न्यायाधीश सम्मेलन एवं अन्य अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार आदि।
रथ प्रवर्तन प्रेरणा :
जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति (१९८२ से १९८५), समवसरण श्रीविहार (१९९८ से २००२), महावीर ज्योति (२००३-२००४) का भारत भ्रमण।
इस प्रकार नित्य नूतन भावनाओं की जननी पूज्य माताजी चिरकाल तक इस वसुधा को सुशोभित करती रहें, यही मंगल कामना है।