तर्ज-माइन माइन………….
गणिनी ज्ञानमती माताजी, कोटि कोटि वंदन है स्वर्ण जयंती पर माँ तेरा,
शत शत अभिनंदन है बोलो जय जय जय…………..।
ढाई शतक ग्रंथों की रचना, कर इतिहास बनाया, सृष्टि क्या है,
जीवन क्या है, यह जग को बतलाया, तेरे ज्ञान की गाथा गाने……………..
तेरे ज्ञान की गाथा गाने, को करता यह मन है,
स्वर्ण जयंती पर माँ तेरा, शत शत अभिनंदन है। बोलो जय जय जय ……………….।
इस युग मेंं नारी की शक्ति, की पहचान करायी ब्राह्मी,
चंदनबाला की माँ, फिर से याद दिलाई, हम मानें अहसान तुम्हारा…………..
हम मानें अहसान तुम्हारा, स्वीकारो वंदन है,
स्वर्ण जयंती पर माँ तेरा, शत शत अभिनंदन है। बोलो जय जय जय ……………….।
तीर्थ अयोध्या मांगीतुंगी, कुण्डलपुर मन भाया,
जन्मभूमि की याद दिलाने, नव निर्माण कराया, जन्मभूमि के दर्शन पाकर………………..
जन्मभूमि के दर्शन पाकर, पुलकित होता मन है स्वर्ण जयंती पर माँ तेरा,
शत शत अभिनंदन है। बोलो जय जय जय ……………….।
ज्ञान की गंगा हृदय में तेरे, मानों ठहर गई है, हृदय सिंधु से मोती पाऊँ,
इच्छा आज हुई है विजय करे गुणगान तेरा…………..
‘‘विजय’’ करे गुणगान तेरा, अब पावन तन औ मन है स्वर्ण जयंती पर माँ तेरा,
शत शत अभिनंदन है। बोलो जय जय जय……………..।