गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करना लाभदायक है। व्यायाम न सिर्फ कई होने वाली खतरनाक बीमारियों से आपका बचाव करता है, बल्कि व्यायाम से आप तरोताजा भी महसूस करते हैं । गर्भावस्था के प्रथम तीन महीनों में व्यायाम करना बहुत लाभदायक होता है। इससे ऑक्सीजन का संचार सही रूप में होता है। लेकिन व्यायाम के साथ ही खान—पान पर विशेष ध्यान दें, तभी आपके व्यायाम करने का कुछ लाभ होगा। गर्भावस्था के दौरान फिजियोथेरेपी करवाना भी सही रहता है लेकिन फिजियोथेरेपी कराते समय फिजियोथेरेपी की सावधानियों पर खास ध्यान देना चाहिए यानि उसके सभी नीति—निर्देशों का पालन करना चाहिए। अकसर गर्भवती महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि कैसे फिजियोथेरेपी प्रोग्राम गर्भावस्था के दौरान आराम पहुंचाने में मदद करता है। दरअसल, फिजियोथेरेपी प्रोग्राम से गर्भवती महिला को बहुत आराम मिलता है। शुरूआती तीन महीनों में व्यायाम से न सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि शिशु के शरीर में भी रक्त और ऑक्सीजन का संचार बढ़ता है। इसके अलावा कुछ अन्य लाभों में गर्भवती महिला की मांसपेशियों में कसाव आता है और महिला की प्रतिरोधक क्षमता व शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। गर्भावस्था के दौरान फिजियोथेरेपी प्रोग्राम कराने से गर्भवती महिला न सिर्फ कमरदर्द की तकलीफ से बच सकती है, बल्कि इससे उन्हें डिलीवरी के वक्त भी बहुत आराम मिलता है। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नींद न आने की शिकायत होती है उनके लिए फिजियोथेरेपी प्रोग्राम से बढ़िया कुछ नहीं। दूसरे ट्राईमेस्टर में फिटनेस प्रोग्राम कराने से शरीर को बहुत आराम मिलता है और शरीर में होने वाले दर्द से भी निजात मिलती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बढ़ना आम बात है लेकिन फिजियोथेरेपी प्रोग्राम अपनाने से महिलाएं अतिरिक्त चर्बी को बढ़ने से रोक सकती हैं। इसके अलावा डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अतिरिक्त चर्बी घटाने और वजन नियंत्रण करने में मदद मिलती है। तीसरे ट्राइमेस्टर में गर्भवती महिलाएं यदि सही तरह से फिजियोथेरेपी प्रोग्राम को अपनाती हैं तो महिलाओं के मन से न सिर्फ प्रसव के दौरान होने वाले डर को दूर करने में मदद मिलती है बल्कि अंतिम तीन महीनों में किए गए व्यायाम गर्भवती स्त्री को प्रसव के लिए तैयार करते हैं ।ये न सिर्फ शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं बल्कि प्रसूति के बाद होने वाले दर्द से निजात पाने और दर्द की वेदना से उभरने की ताकत भी देते हैं। गर्भवती महिला को हल्के—हल्के व्यायामों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।