हकलाना, तुतलाना — बच्चों का हकलाना आँवला चबाने से ठीक हो जाता है। जीभ पतली होकर आवाज साफ आने लगती है। एक चम्मच पिसा हुआ आँवला घी में मिलाकर नित्य चाटते रहें। तुतलाना ठीक हो जाएगा। नित्य २ बादाम भिगोकर, छीलकर, पीसकर, आधी छटाँक (३१ ग्राम) मक्खन में कुछ दिन तक खाने से लाभ होता है। सोते समय छुहारा दूध में उबाल कर लें। इसे लेने के दो घंटे बाद तक पानी न पियें। इससे तीखी, मोटी आवाज साफ हो जाएगी।
टांसिल होने पर — अनन्नास का जूस गर्म करके पियें। टांसिल के रोगी को अनन्नास के टुकड़े पर नींबू का रस निचोड़ कर खिलाना चाहिए, टॉसिल का रोग नष्ट हो जायेगा और पानी से कुल्ला करें, लाभ होगा। थोड़ी वेदना होगी, डरें नहीं। जिन लोगों को छाले होते रहते हैं वे खाने के बाद थोड़ी सौंफ लिया करें। छालें नहीं होंगे। देशी घी में कपूर मिलाकर नित्य चार बार लगायें और लार गिराऐं। फिर कुल्ला कर लें। पान में चना के बराबर कपूर का टुकडा रखकर चबाएं और पीक थूकते जाएं। ध्यान रहे पीक पेट में न जाए। मसूड़े फूलना, दर्द होना, टीस उठना आदि होने पर भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक समान भाग पीसकर, छानकर मसूडे पर रगड़ें और लार टपका दें। लाभ होगा।
टॉन्सिलाइटिस — गले के रोग तुलसी की माला पहनने से नहीं होते। अनन्नास खाने से लाभ होता है। सिंघाडे में आयोडीन अधिक होता है अत: इसका सेवन करना चाहिए। गरम पानी में फिटकरी डालकर गरारे करें। लाभ होगा। गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से टॉन्सिल, गले में सूजन, दर्द में लाभ होता है। टॉन्सिल में जब तक दर्द हो गरारे करते रहें। गर्म पानी में ग्लिसरीन मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है। चाय की पत्तियों को उबालकर छानें और उस पानी से गरारे करें, लाभ होगा। गला बैठना, स्वर भंग — गरम पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर कुल्ले करना चाहिए, यह सुबह तथा रात को सोते समय करना चाहिए। मुलहठी को मुँह में रखकर चूसना चाहिए, मुलहठी का सत्व थोड़ा—थोड़ा मुँह में रखकर चूसने से भी लाभ होता है। गला बैठ जाए, गले में ललाई या सूजन हो जाए तो ताजा पानी या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर नमक डालकर तीन—चार गरारे करने से लाभ होता है। अजवाइन और शक्कर उबालकर दो बार पीने से गला खुल जाता है। पानी में मुलहठी डालकर रात को सोते समय खायें और सो जाएं। प्रात: आवाज साफ हो जाएगी। कंठ सूखने पर छुआरे की गुठली मुँह में रखने से लाभ होता है। आलूबुखारा दिन में चार बार चूसने व खाने से गले की खुश्की मिट जाती है। हर तीन—तीन घण्टे में दो चम्मच सूखा साबुत धनिया चबा चबाकर रस चूसते रहें। हर प्रकार के गले दर्द के लिए लाभदायक है। मूली का रस और पानी समान मात्रा में मिलाकर नमक मिलाकर गरारे करने से गले के घाव ठीक हो जाते हैं। दालचीनी बारीक पीसकर अँगूठे से प्रात: काग पर लगायें और लार टपका दें। इससे काग वृद्धि ठीक हो जाएगी।
डकार — डकार अधिक आती हो तो बाजरे के दाने के बराबर हींग, गुड़ या केले में रखकर खायें। सेंककर पीसा हुआ जीरा एक चम्मच एक चम्मच चासनी में मिलाकर खाना। खाने के बाद चाटें। डकार में लाभ होगा।
प्यास अधिक लगना — प्यास की तीव्रता होने पर दो गिलास उबलते पानी में लौंग डालकर पानी ठंडा करके पिलाएं। इससे प्यास कम हो जाती है। यदि खुश्की की प्यास अधिक हो तो गर्म पानी से ठीक हो जाती है। बारह छोटी इलाइची के छिलके एक गिलास पानी में उबालें। पानी आधा रहने पर इसके चार हिस्से करके चार बार हर दो घंटे में पिलाएं। प्यास अधिक नहीं लगेगी। किसी भी बीमारी में यदि प्यास अधिक हो तो ठीक हो जाती है।
रोहिणी — अनन्नास का रस रोहिणी की झिल्ली को काट देता है। गले को साफ करता है।
गले के रोग —अकरकरा, कुलंजन और मुलहठी के टुकड़े सुपारी की तरह मुँह में रखने से बैठा हुआ गला खुल जाता है। आँवला का चूर्ण गाय के धारोष्ण दूध के साथ लेने से गला ठीक हो जाता है। खाँसी कैसी भी हो ज्यादा तामझाम करने की जरूरत नहीं। हल्दी के कुछ टुकड़े जेब में रखें। ४—५ चूस लें बस खाँसी ठीक, सर्दी जुकाम से गला बैठ गया हो तो १ गिलास पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर पानी को उबाल लें और गुनगुना हो तब गरारें करें।