विकास और सुख–साधनों की बढ़ती भरमार ने जहाँ मनुष्य के जीवन को कई मायने में आसान बनाया है, वहीं उन्हीं सुविधाओं के कारण बहुत सी ऐसी तकलीफे भी मानव शरीर को दबे पाँव आकर जकड़ लेती है, जिनका असर भले ही देर से पता लगे लेकिन वह जीवन भर के लिए जुड़ जाती है। कैंसर भी एक ऐसा ही रोग है जो या तो व्यक्ति के जीवन के साथ ही समाप्त होता है अथवा लम्बे उपचार के बाद भी रोगी व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता। वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के इस दौर में क्या किसी व्यक्ति के घर का वास्तु भी उसके परिवार को कैंसर जैसे रोग से ग्रसित कर सकता है ? अथवा वहीं उचित वस्तु क्या उस परिवार को कैंसर जैसे रोग से बचा सकता है। इस विषय पर मैंने अपने वर्षों के अध्यन्न में यह पाया है कि जिन घरों में कैंसर के मरीज हैं उनके घर के अन्दर एक साथ दो या दो से अधिक वास्तुदोष घर के दक्षिण—पश्चिम या नैऋत्य कोण में होते हैं। ईशान कोण में वास्तुदोष किसी भी प्रकार का हो सकता है जैसे— चार दीवारी एवं भवन का ईशान कोण गोल होना, कटा हुआ होना, दबा हुआ होना या अन्य दिशाओं की तुलना में ऊंचा होना टॉयलेट का होना आदि। मैंने कैंसर से पीड़ित कई लोगों का वास्तु विश्लेषण किया है और उन घरों में विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष पाये हैं जो विभिन्न प्रकार के कैंसर के कारण बनते हैं । वे इस प्रकार हैं —
ब्रेन कैंसर :— वायव्य, उत्तर, ईशान व पूर्व दिशा का ऊंचा होना एवं आग्रेय, दक्षिण, नैऋत्य पश्चिम में भूमिगत पानी का स्रोत होना या नीचा होना या बढ़ा हुआ होना, इसका कारण बनता है।ब्लड कैंसर — ईशान कोण दूषित होना, नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत जैसे टंकी, बोर,कुओं इत्यादि का होना या नीचा होना व अन्य दिशाओं की तुलना में ईशान कोण ऊंचा होने पर होताहै।
यूट्रस कैंसर— इसका कारण ईशान कोण दूषित होना, दक्षिण या दक्षिण नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोंत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होना होता है।
पेट का कैंसर— ईशान कोण दूषित होना पश्चिम और, पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, यही भाग किसी भी प्रकार ईशान कोण की तुला में नीचा या बढ़ा हुआ होने पर हुआ होने पर होता है।
किड़नी का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना, पश्चिम और नैऋत्य कोण में पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा होने पर ।
छाती एवं फैफड़े का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना या उत्तर एवं उत्तर वायव्य का बंद होना पश्चिम और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना, किसी भी प्रकार से नीचा या बढ़ा हुआ होने पर ।
सिर, गले व मुंह का कैंसर :— आवश्यकता से अधिक ऊँचा और बढ़ा हुआ ईशान कोण होना एवं पश्चिम अधिक नीचा होने पर ।
आँत का कैंसर:— ईशान कोण का दूषित होना और पश्चिम नैऋत्य में भूमिगत पानी का स्त्रोत होना या किसी भी प्रकार से नीचे या बढ़ा हुआ होने पर होता है। किसी भी घर में यदि कैंसर का मरीज हो तो मेरी यह सलाह है कि मरीज का योग्य डॉक्टर से उचित इलाज अवश्य करवाते रहें। इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें, परन्तु साथ ही किसी योग्य वास्तु कंसलटेन्ट को बुलाकर मकान को अवश्य दिखलायें ताकि, मकान में जो वास्तु दोष है उन्हें दूर कर उससे होने वाले कुप्रभाव को समाप्त किया जा सके और वास्तु दोष दूर होने से उस मरीज की बीमारी बढ़ना रूक जायेगी और मरीज को राहत मिलेगी। किसी भी असाध्य रोग के मरीज के लिए अपने निवास स्थान के वास्तुदोष को दूर करना उसी प्रकार लाभदायक रहता है जैसे— डायबिटिज के मरीज को डायबिटिज कन्ट्रोल करने के लिए दवाइयाँ तो लेनी ही पड़ती है पर साथ में विशेष रूप से परहेज में उसे मीठा खाने से रोका जाता है ताकि ब्लड शुगर और न बढ़े। इसी प्रकार वास्तुदोष निवारण बिमारियों में एक तरह से परहेज की तरह काम कर बीमारी को बढ़ने से रोकने में सहायक होता है और मरीज पर ईलाज और दवाईयाँ भी अपना अच्छा प्रभाव देने लगती है । इससे मरीज को आयु में वृद्धि होती है। अत: जिन घरों में कोई कैंसर का मरीज है उन्हें अपने घर के वास्तु दोषों को दूर करवाना चाहिए ताकि मरीज अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सके वहीं जिन घरों में पहले से ही इन वास्तुदोषों का निवारण करा लिया जाये तो कैंसर जैसे रोग से बचा भी जा सकता है।