इधर चक्ररत्न अयोध्या में प्रवेश करता है। भरत सम्राट का ‘चक्रवर्ती सम्राट’ पद पर अभिषेक सम्पन्न होता है और वे इस भरत क्षेत्र के ‘प्रथम चक्रवर्ती’ हो जाते हैं। बत्तीस हजार मुकुटबद्ध राजा उनके चरणों में नमस्कार करते हैं…..।