चतुरावश्यक
Four super necessities of the 7th stage of spiritual development.
अनंतगुणी विशुद्धि , अप्रशास्ता प्रकृतियों की अनंतगुणी हानि, प्रशस्त प्रकृतियों में अनंतगुणी वृद्धि , स्थिति बंधापसरन ये ४ आवश्यक कार्य अधःप्रवृत्तकरण संयत अर्थात् सप्तम गुणस्थानवर्ती मुनि के होते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]