सुषमादुष्षमा नामक चतुर्थ काल में चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष आठ मास और एक पक्ष शेष रहने पर भगवान ऋषभदेव का अवतार हुआ है और तृतीय काल में तीन वर्ष आठ मास एक पक्ष के अवशिष्ट रहने पर ऋषभदेव सिद्ध पद को प्राप्त हुये हैं।