उत्थानिका-इस प्रकार सम्यग्ज्ञान लक्षण प्रमाण, प्रत्यक्ष-परोक्ष भेद, द्रव्य पर्यायात्मक अर्थ विषय और अज्ञाननिवृत्ति आदि फल, इन चारों को प्रतिपादित करके इस समय प्रमाणाभास का निरूपण करते हुए कहते हैं-
अन्वयार्थ-(प्रत्यक्षाभं) प्रत्यक्षाभास (तैमिरादिकं) तैमिर आदि ज्ञान (कथंचित्) कथंचित् (प्रमाणं स्यात्) प्रमाण हैं, (यत्) जो ज्ञान (यथा एव) जिस प्रकार से ही (अविसंवादि) अविसंवादी है (तत्) वह (तथा) उसी प्रकार से (प्रमाणं मतं) प्रमाण माना गया है।।१।।
अर्थ-प्रत्यक्षाभास तैमिर आदि ज्ञान कथंचित् प्रमाण हैं, जो ज्ञान जिस प्रकार से ही अविसंवादी है वह उसी प्रकार से प्रमाण माना गया है।।१।।