चन्द्र का विमान योजन (३६७२ मील) व्यास का है। सूर्य के समान चन्द्रमा का भी गमन क्षेत्र ५१० योजन है। इस गमन क्षेत्र में चन्द्र की १५ गलियाँ हैं। इनमें वह प्रतिदिन क्रमश: एक-एक गली में गमन करता है। चन्द्र बिम्ब के प्रमाण योजन की ही एक-एक गली हैं अत: समस्त गमन क्षेत्र में चन्द्र बिम्ब प्रमाण १५ गलियों को घटाने से एवं शेष में १ कम (१४) गलियों का भाग देने से एक चन्द्र गली से दूसरी चन्द्र गली के अन्तर का प्रमाण प्राप्त होता है। यथा—
५१० — ² १५ · ५१० — १३ · ४९७ योजन
इसमें १४ का भाग देने से—४९७ ´ १४ · ३५ योजन (१४२००४ मील) प्रमाण एक चन्द्र गली से दूसरी चन्द्र गली का अन्तराल है।
इसी अन्तर में चन्द्र बिम्ब के प्रमाण को जोड़ देने से चन्द्र के प्रतिदिन के गमन क्षेत्र का प्रमाण आता है। यथा—३५ ± · ३६ योजन अर्थात् १४५६५३ मील प्रतिदिन गमन करता है।
इस प्रकार प्रतिदिन दोनों ही चन्द्रमा १-१ गलियों में आमने-सामने रहते हुये एक-एक गली का परिभ्रमण पूरा करते हैं।