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चरित्त :!
November 21, 2017
शब्दकोष
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[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] ==
चरित्त :
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चारित्तं समभावो
—पंचास्तिकाय : १०७
समभाव ही चारित्र है।
असुहादो विणिवित्ती, सुहे पवित्ती य जाण चारित्तं।
—द्रवसंग्रह : ४५
अशुभ से निवृत्ति और शुभ में प्रवृत्ति करना—इसे ही चारित्र समझना चाहिए।
थोवम्मि सिक्खिदे जिणइ, बहुसुदं जो चरित्तसंपुण्णो। जो पुण चरित्तहीणो, िंक तस्स सुदेण बहुएण।।
—मूलाचार : १०-६
चारित्रसम्पन्न का अल्पतम ज्ञान भी अधिक है और चारित्रहीन का बहुत अधिक शास्त्रज्ञान भी निष्फल है
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