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चलो मन को अन्तर की, यात्रा कराएं!
June 12, 2020
भजन
jambudweep
चलो मन को अन्तर
तर्ज—आवाज देकर हमें तुम………………………..
चलो मन को अन्तर की, यात्रा कराएं।
भटकते विचारों को, मन से हटाएं।। टेक.।।
मेरी आतमा सत्य, शिव सुन्दरम् है।
कुसंगति से उसमें, हुआ मति भरम है।।
पुरुषार्थ कर, शुद्ध आतम को ध्याएं।
भटकते विचारों को, मन से हटाएं।।१।।
ये यात्रा वचन मन, व तन शुद्ध करती।
ये यात्रा अमन चैन, परिपूर्ण करती।।
इसी यात्रा से, मन को तीरथ बनाएं।
भटकते विचारों को, मन से हटाएं।।२।।
न हम हैं किसी के, न कोई हमारा।
सभी से जुदा, आतमा है निराला।।
उसे ‘चंदना’, खोज करने से पाएं।
भटकते विचारों को, मन से हटाएं।।३।।
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