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चातुर्मास (वर्षायोग) का महत्व : नृत्य नाटिका (प्रश्न -उत्तर )
January 6, 2025
Workshop of Books
Rahul
तर्ज-मैंने तेरे ही भरोसे………..
प्रश्न –
सुनो सुनो रे सखी री मेरी बात, चौमासा किसे कहते हैं?
बतला दो मुझे आज यह बात, चौमासा किसे कहते हैं?
उत्तर –
मैंने सुनी है सखी री ऐसी बात, चौमासा साधु करते हैं।
वर्षाऋतु में होती है बरसात, हिंसा से साधु बचते हैं।।
प्रश्न –
कौन-कौन से मास हैं इसके, मुझको सखी बताओ।
बोलो क्या-क्या लाभ हैं इसके, यही मुझे समझाओ।।
ताकि पाऊँ मैं भी उसका लाभ, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर –
मास अषाढ़ जुलाई से, दीवाली तक चौमासा है।
सोलहकारण दशलक्षण, पर्वों का इससे नाता है।।
श्रावक लेते हैं गुरुओं से धर्मलाभ, चौमासा सार्थक करते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न –
साधु और साध्वी की क्या, पहचान सहज में बतलाओ।
संघ चतुर्विध किसे कहा, जाता है सबको समझाओ।।
किनके दर्शन से मिलता है पुण्यलाभ, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर –
मोरपंख की पिच्छीयुत, जो मुनी आर्यिका कहलाते।
क्षुल्लक और क्षुल्लिका भी, साधू की श्रेणी में आते।।
ये चारों ही करते हैं चातुर्मास, इनके ही संघ में रहते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न –
इन गुरुओं के दर्शन की, वैâसी विधि आगम में आई।
क्या कह इनको नमन करें, यह बात जानने में आई।।
जिससे होवे मेरे मन का समाधान, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर –
तीन पुंज चावल के चढ़ाकर, नमन करो अति श्रद्धा से।
मुनियों को बोलो नमोस्तु, वंदामि कहो माताजी से।।
क्षुल्लक क्षुल्लिका को करो इच्छामि, ये सभी साधक होते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न –
ज्ञान हुुआ कुछ बहन मुझे अब, यही विधी अपनाऊँगी।
अपने गुरुओं के चरणों में, जाकर शीश नमाऊँगी।।
नवधा भक्ती से मैं दूँगी आहार, जिनागम यही कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर –
यही सार मानव जीवन का, इसे समझ सब समझ गई।
बाकी सब निस्सार जगत में, गुरु संगत जब प्राप्त हुई।।
करो इसीलिए भक्ति दिन रात, चौमासा साधु करते हैं।।मैंने.।।
प्रश्न –
कई दिनों से सुना था मैंने, ज्ञानमती माँ आएंगी।
अपने गणिनी संघ सहित, चौमासा यहाँ रचाएंगी।।
इसीलिए मैंने पूछी कुछ बात, चौमासा किसे कहते हैं।।सुनो.।।
उत्तर –
गणिनी ज्ञानमती माता में, ज्ञान का है भण्डार भरा।
इनसे लाभ उठाने में, नहिं करना है अब देर जगरा।।
बनेगा यह ऐतिहासिक चातुर्मास, सभी से यही सुनते हैं।।मैंने.।।
दोनों मिलकर-
सभी बहन भाई मिल करके, जैनधर्म की जय बोलो।
माताजी के चातुर्मास में सब मिल ज्ञानामृत ले लो।।
करें प्रतिदिन मंगलाचार, चौमासा इसे कहते हैं।।सुनो.।।
हर समाज के सब नर नारी, माता तुमसे विनय करें।
पूर्णलाभ दो मात हमें, ‘चन्दनामती’ तुम चरण नमें।।
सेवा करेंगे तुम्हारी दिन रात, चौमासा सफल करने को।।सुनो.।।
ऋषभ वीर के महामहोत्सव, का जो बिगुल बजाया है।
उसका श्रेय सभी को मिलने, का यह अवसर आया है।।
होंगे स्वप्न सभी साकार, ऐसी हम आशा करते हैं।
बोलो ज्ञानमती माँ की जय जयजयकार, चरणों में श्रीफल धरते हैं।।सुनो.।।
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