रचयित्री – ब्र. कु. आस्था जैन
(संघस्थ – गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी)
श्री अभयमती माताजी की, सब करें आरती आज,
घृतमय दीपक लेकर आए, शरणा तेरी आज,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..
सन् उन्नीस सौ ब्यालिस में, तुम टिवैâतनगर में जन्मी,
छोटेलाल मोहिनी माता, की बगिया है महकी,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..
बचपन में था नाम मनोवती, त्याग मार्ग मन भाया,
उन्निस सौ चौंसठ में तुमने, क्षुल्लिका दीक्षा पाया,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..
ज्ञानमती माताजी गुरु को, पाकर सफल हुई हो,
आर्यिका दीक्षा धर्मसिंधु से, पाकर धन्य हुई हो,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..
ग्रंथों की रचना कर तुमने, सार्थक जन्म है कीना,
जगह-जगह यात्रा कर तुमने, धर्म प्रभावन कीना,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..
हे ‘चारित्रश्रमणी’ माता ज्ञान गुणों की खान,
करे ‘आस्था’ यही कामना, दीर्घ आयु हो प्राप्त,
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती……………..