अब गजदन्त हैं नाम जिनके, ऐसे चार वक्षार और अन्य १६ वक्षार पर्वतों पर स्थित कूट की संख्या और उनके नामादिक आठ गाथाओं द्वारा कहते हैं— गाथार्र्थ—ऐशान दिशा से प्रारम्भ कर चारों गजदन्त पर्वतों पर क्रम से नव, सात, नव और सात वूकूट तथा सोलह वक्षार पर्वतों पर चार, चार कूटकूट उनके नाम अनुक्रम से (निम्न प्रकार) हैं।।७३७।। विशेषार्र्थ—ऐशान दिशा से प्रारम्भ कर चार गजदन्त पर्वतों के ऊपर क्रम से कूटकूट संख्या ९, ७, ९ और ७ है तथा अन्य १६ वक्षार पर्वतों के ऊपर चार-चार वूकूट। उन वूकूटकूट नाम अनुक्रम से कहते हैं। गाथार्र्थ—१ सिद्धवूकूट माल्यवान्, ३ उत्तर कौरव, ४ कच्छ, ५ सागर, ६ रजत, ७ पूर्णभद्र, ८ सीता और ९ हरिसहवूकूट। ये नौ वूकूटटन दिशागत माल्यवान् गजदन्त पर स्थित हैं। गाथार्र्थ—इसके बाद १ सिद्धवूकूटटसौमनस, ३ देवकुरु, ४ मङ्गल, ५ विमल, ६ काञ्चन और अन्तिम ७ वशिष्ट नाम के सात वूकूटटरे सौमनस गजदन्त पर्वत के ऊपर स्थित हैं। इसके बाद १ सिद्धवूकूटट विद्युत्प्रभ, ३ देवकुरु, ४ पद्म, ५ तपन, ६ स्वस्तिकवूकूटटशतज्वाल, ८ सीतोदा और अन्तिम ९ हरिवूकूटट ९ वूकूटटरे विद्युतप्रभ गजदन्त के ऊपर अवस्थित हैं। इसके बाद १ सिद्धवूकूटट गन्धमादन, ३ उत्तरकुरु, ४ गन्धमालिनी, ५ लोहिताक्ष, ६ स्फटिक और अन्तिम ७ आनन्द ये सात वूकूटट गन्धमादन गजदन्त के ऊपर अवस्थित हैं। इन उपर्युक्त वूकूटकूट से सागर एवं रजतवूकूटकूट सुभोगा और भोगमालिनी व्यन्तर देवियाँ निवास करती हैंं। विमल और काञ्चन वूकूटकूटर वत्समित्रा और सुमित्रा, तपन और स्वस्तिक वूकूट पर वारिषेणा और अबला तथा स्फटिक और लोहित वूकूट पर भोगज्र्रा और भोगवती नाम की व्यन्तर देवियाँ निवास करती हैं।।७३८-७४२।।