चौबीस तीर्थंकरों के चौदह सौ उनसठ गणधर हैं। अन्य ग्रंथों में चौदह सौ बावन माने हैं। इन चौबीसों तीर्थंकरों के एक-एक प्रमुख गणधरों के नाम प्रसिद्ध हैं। उनके ये २४ व्रत हैं। इन व्रतों के प्रभाव से अंतरंग ऋद्धियाँ एवं बहिरंग ऋद्धि-सुख-संपत्ति-सन्तति आदि को प्राप्त करते हैं एवं रोग, शोक, दरिद्रता को दूर करते हैं तथा परम्परा से गणधरदेव आदि की विभूति को प्राप्त कर नियम से मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
इस व्रत को तीर्थंकरों के केवलज्ञानकल्याणक के दिन करने से अति उत्तम है अथवा कभी भी किन्हीं भी तिथि में कर सकते हैं।
व्रतविधि-
व्रत के दिन उपवास करना उत्तम है। अल्पाहार मध्यम है और एक बार शुद्ध भोजन लेकर एकाशन करना जघन्य है। प्रत्येक व्रत के दिन तीर्थंकर भगवान का अभिषेक करके गणधर अथवा गणधरवलययंत्र का अभिषेक करना चाहिए एवं तीर्थंकरों की पूजन करके गणधरदेव की पूजा करना चाहिए। इनके चौबीस मंत्र दिये हैं। क्रम से एक-एक व्रत में एक-एक मंत्र की माला करना चाहिए। यह व्रत आप सबको स्वस्थता प्रदान कर ऋद्धि-सिद्धि से भरपूर सर्वसुख प्रदान करे, यही मंगल कामना है। समुच्चय मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीचतुर्विंशतितीर्थंकर श्रीऋषभसेनादिप्रमुख-एकोनषष्ट्यधिकचतुर्दशशतगणधरदेवेभ्यो नमो नम:। प्रत्येक व्रत के पृथक्-पृथक् २४ मंत्र— १. ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य श्रीऋषभसेनगणधरप्रमुख-चतुरशीतिगणधरदेवेभ्यो नम:। २. ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथस्य श्रीकेशरीसेनगणधरप्रमुख-नवतिगणधरदेवेभ्यो नम:। ३. ॐ ह्रीं श्रीसंभवनाथस्य श्रीचारुदत्तगणधरप्रमुख-पंचोत्तरशतगणधरदेवेभ्यो नम:। ४. ॐ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथस्य श्रीवङ्काचामरगणधरप्रमुख-त्र्युत्तरशतगणधरदेवेभ्यो नम:। ५. ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथस्य श्रीवङ्कागणधरप्रमुख-षोडशोत्तरशतगणधरदेवेभ्यो नम:। ६. ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभनाथस्य श्रीचमरगणधरप्रमुख-एकादशोत्तरशतगणधरदेवेभ्यो नम:। ७. ॐ ह्रीं श्रीसुपाश्र्वनाथस्य श्रीबलदत्तगणधरप्रमुख-पंचनवतिगणधरदेवेभ्यो नम:। ८. ॐ ह्रीं श्रीचंद्रप्रभनाथस्य श्रीवैदर्भगणधरप्रमुख-त्रिनवतिगणधरदेवेभ्यो नम:। ९. ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदंतनाथस्य नागमुनिगणधरप्रमुख-अष्टाशीतिगणधरदेवेभ्यो नम:। १०. ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथस्य श्रीवुंâथुगणधरप्रमुख-सप्ताशीतिगणधरदेवेभ्यो नम:। ११. ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथस्य श्रीधर्मगणधरप्रमुख-सप्तसप्ततिगणधरदेवेभ्यो नम:। १२. ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यनाथस्य श्रीमंदरगणधरप्रमुख-षट्षष्टिगणधरदेवेभ्यो नम:। १३. ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथस्य श्रीजयमुनिगणधरप्रमुख-पंचपंचाशत्गणधरदेवेभ्यो नम:। १४. ॐ ह्रीं श्रीअनन्तनाथस्य श्रीअरिष्टगणधरप्रमुख-पंचाशत्गणधरदेवेभ्यो नम:। १५. ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथस्य श्रीअरिष्टसेनगणधरप्रमुख-त्रिचत्वारिंशत्गणधरदेवेभ्यो नम:। १६. ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथस्य श्रीचक्रायुधगणधरप्रमुख-षट्त्रिंशद्गणधरदेवेभ्यो नम:। १७. ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथस्य श्रीस्वयंभूगणधरप्रमुख-पंचत्रिंशद्गणधरदेवेभ्यो नम:। १८. ॐ ह्रीं श्रीअरनाथस्य श्रीकुंभगणधरप्रमुख-त्रिंशद्गणधरदेवेभ्यो नम:। १९. ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथस्य श्रीविशाखगणधरप्रमुख-अष्टाविंशतिगणधरदेवेभ्यो नम:। २०. ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथस्य श्रीमल्लिगणधरप्रमुख-अष्टादशगणधरदेवेभ्यो नम:। २१. ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथस्य श्रीसुप्रभगणधरप्रमुख-सप्तदशगणधरदेवेभ्यो नम:। २२. ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथस्य श्रीवरदत्तगणधरप्रमुख-एकादशगणधरदेवेभ्यो नम:। २३. ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथस्य श्रीस्वयंभूगणधरप्रमुख-दशगणधरदेवेभ्यो नम:। २४. ॐ ह्रीं श्रीमहावीरस्वामिन: श्रीइन्द्रभूतिगणधरप्रमुख-एकादशगणधरदेवेभ्यो नम:। अथवा २४ लघु मंत्र समुच्चय मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीचतुर्विंशतितीर्थंकरगणधरप्रमुखश्रीऋषभसेनादिगौतमान्त्यगणधरदेवेभ्यो नमो नम:।
प्रत्येक व्रत के पृथक्-पृथक् मंत्र— १. ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य श्रीऋषभसेनगणधरदेवाय नम:। २. ॐ ह्रीं श्रीअजितनाथस्य श्रीकेशरीसेनगणधरदेवाय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्रीसंभवनाथस्य श्रीचारुदत्तगणधरदेवाय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथस्य श्रीवङ्काचमरगणधरदेवाय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथस्य श्रीवङ्कागणधरदेवाय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभनाथस्य श्रीचमरगणधरदेवाय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्रीसुपाश्र्वनाथस्य श्रीबलदत्तगणधरदेवाय नम:। ८. ॐ ह्रीं श्रीचन्द्रप्रभनाथस्य श्रीवैदर्भगणधरदेवाय नम:। ९. ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदंतनाथस्य श्रीनागमुनिगणधरदेवाय नम:। १०. ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथस्य श्रीकुंथुगणधरदेवाय नम:। ११. ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथस्य श्रीधर्मगणधरदेवाय नम:। १२. ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यनाथस्य श्रीमंदरगणधरदेवाय नम:। १३. ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथस्य श्रीजयमुनिगणधरदेवाय नम:। १४. ॐ ह्रीं श्रीअनंतनाथस्य श्रीअरिष्टगणधरदेवाय नम:। १५. ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथस्य श्रीअरिष्टसेनगणधरदेवाय नम:। १६. ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथस्य श्रीचक्रायुधगणधरदेवाय नम:। १७. ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथस्य श्रीस्वयंभूगणधरदेवाय नम:। १८. ॐ ह्रीं श्रीअरनाथस्य श्री वुंâभगणधरदेवाय नम:। १९. ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथस्य श्रीविशाखगणधरदेवाय नम:। २०. ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथस्य श्रीमल्लिगणधरदेवाय नम:। २१. ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथस्य श्रीसुप्रभगणधरदेवाय नम:। २२. ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथस्य श्रीवरदत्तगणधरदेवाय नम:। २३. ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथस्य श्रीस्वयंभूगणधरदेवाय नम:। २४. ॐ ह्रीं श्रीमहावीरस्वामिन: श्रीइन्द्रभूतिगौतमगणधरदेवाय नम:।