व्रत के दिन २४ तीर्थंकर प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक एवं पूजन करें। व्रत की उत्तम विधि उपवास, मध्यम विधि अल्पाहार एवं जघन्य विधि एकाशन है। इसमें २४ व्रत करना है। व्रत के दिन प्रत्येक तीर्थंकर की एक-एक जाप्य एवं एक समुच्चय जाप्य करना है। व्रत में तिथि का कोई बंधन नहीं है, एक महीने में एक व्रत अवश्य करें। व्रत के उद्यापन में ‘चौबीस तीर्थंकर विधान’ करें। २४-२४ उपकरण मंदिर जी में भेंट करें। चौबीसी प्रतिमा बनवाएँ अथवा २४ तीर्थंकर से संबंधित कोई शास्त्र प्रकाशित करवाकर वितरित करें।