पानी के एक बिन्दु में असंख्यात जीव हैं, ऐसा जैनाचार्यों ने कहा है। बिना छने पानी को पीने से उन जीवों का घात होता है और स्वास्थ्य भी बिगड़ता है। वैज्ञानिक लोगों ने भी बिना छने पानी की एक बूंद में ३६४५० जीव बताये हैं, इसलिए सदा पानी छानकर पीना चाहिए। मोटे कपड़े का दोहरा छन्ना होना चाहिए।
छना हुआ पानी अड़तालीस मिनट तक जीव रहित रहता है। पुन: उसमें त्रस जीव उत्पन्न हो जाते हैं अत: उसे फिर से छानना चाहिए। छने हुए पानी में लौंग, इलाइची आदि डाल देने से पानी प्रासुक हो जाता है उसकी मर्यादा छह घंटे की है। गर्म किये हुए जल की मर्यादा चौबीस घंटे की होती है।