छोटेलाल जैन
Father’s name of Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji; a special personality (year 1906-1969) of Agrawal Jain caste resident of Tikaitnagar, U.P., got married with Mohinidevi of Mahmoodabad, U.P., and became father of 9 daughters & 4 sons. Among them 3 daughters Ku. Maina, Ku. Manovati, Ku. Madhuri & 1 son Ravindrakumar turned to the path of salvation and became the first celibate & supreme Aryika Ganini Pramukh Shri Gyanmati Mataji of 20th century, Aryika Shri Abhaymati Mataji, Aryika Shri Chandanamati Mataji & Karmayogi Bramhchari Shri Ravindra kumar Jain respectively. Ultimately his wife also turned to the path of salvation as Aryika Shri Ratnamati Mataji and got great holy death with sallekhana.
एक विशेष व्यक्तित्व – जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी के गृहस्थ अवस्था के पिटा . पूर्वी उ.प्र. में जिला बाराबंकी के टिकैतनगर कस्बे में अग्रवाल जैन जातीय गोत्रीय श्रेष्ठी श्री धन्यकुमार जी के तीन पुत्रों में द्वितीय पुत्र (ई.सन् १९०६-१९६९) . सन् १९३२ में इनका विवाह महमूदाबाद-जिला सीतापुर (उ.प्र.) के श्रेष्ठी श्री सुखपालदास जैन की कन्या मोहिनीदेवी के साथ हुआ और सन् १९३४ में आपके दांपत्य जीवन के प्रत्रहम पुष्प के रूप में एक कन्यारत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम पड़ा मैना , जो वर्तमान में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के रूप में बीसवीं शताब्दी की प्रथम बालब्रह्मचारिणी साध्वी (आर्य्का) हुई हैं . इनके कुल ९ पुत्रियाँ और ४ पुत्र हुए जिनमे से तीन कन्यारत्न कु. मैना (गणिनी ज्ञानमती) एवं एक पुत्र कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन त्याग के मार्ग पर अग्रसर हुए. आपने २५ दिसंबर १९६९ को जैनधर्मं की सल्लेखना विधिपूर्वक समाधिमरण प्राप्त किया . इसके पश्र्चात् आपकी धर्मंपत्नी मोहिनीदेवी ने सन् १९७१ में आचार्य श्री धर्मंसागर जी महाराज से आर्यिका दीक्षा लेकर ‘रत्नमती’ नाम प्राप्त किया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]