जंबूद्वीप के भीतर दक्षिण की ओर भरतक्षेत्र है। उसके आगे हैमवत,हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत ये सात क्षेत्र हैं। हिमवान, महाहिमवान्, निषध, नील, रुक्मि और शिखरी ये छह पर्वत हैं। दक्षिण में भरतक्षेत्र का विस्तार ५२६- ६/१९ योजन है। भरतक्षेत्र से दूना हिमवान पर्वत है, उससे दूना हैमवत क्षेत्र हैंं। ऐसे विदेहक्षेत्र तक दूना-दूना विस्तार है पुनः आगे आधा-आधा है। भरतक्षेत्र के मध्य में पूर्व-पश्चिम लंबा समुद्र को स्पर्श करता हुआ विजयार्ध पर्वत है। हिमवान आदि छह कुलाचलों पर क्रम से पद्म, महापद्म, तिगिंछ, केशरी, पुंडरीक और महापुंडरीक ऐसे छह सरोवर हैं। इन छह सरोवरों से गंगा-सिंधु, रोहित-रोहितास्या, हरित-हरिकांता, सीता-सीतोदा, नारी-नरकांता, सुवर्णकूला-रूप्यकूला और रक्ता-रक्तोदा ये चौदह नदियां निकलती हैं जो कि एक-एक क्षेत्र में दो-दो नदी बहती हुई सात क्षेत्रों में बहती हैं।