अंबरपणएक्कचऊणवछप्पण्णसुण्णणवयसत्तं च। अंककमे परिमाणं जंबूदीवस्स खेत्तफलं१।।२३७९।।७९०५६९४१५०। अट्ठावीससहस्सं भरहस्स तरंगिणीओ दुगसहिदा। दुगुणा दुगेण रहिदा हेमवदक्खेत्तसरिया णं।।२३८०।।२८००२। ५६००२। हेमवदवाहिणीणं दुगुणियसंखा य दुगविहीणा य। हरिवरिसम्मि पमाणं तरंगिणीणं च णादव्वं।।२३८१।।११२००२। एदाण तिखेत्ताणं सरियाओ मेलिदूण दुगुणकदा। …………………………………………………………….।।२३८२।।३९२०१२। अट्ठासट्ठिसहस्सब्भहियं एवं तरंगिणीलक्खं। देवकुरुम्मि य खेत्ते णादव्वं उत्तरकुरुम्मि।।२३८३।।१६८०००। अट्ठत्तरिसंजुत्ता चोद्दसलक्खाणि होंति दिव्वाओ। सव्वाओ पुव्वावरविदेहविजयाण सरियाओ।।२३८४।।१४०००७८। सत्तरससयसहस्सा बाणउदिसहस्सया य णउदिजुदा। सव्वाओ वाहिणीओ जंबूदीवम्मि मिलिदाओ।।२३८५।।१७९२०९०। णदीसंखा—वदे सीतासीतोदा २, क्षेत्रनदी ६४, विभंगा १२, सीतासीतोदापरिवार १६८०००, क्षे. न. प. ८९६०००, वि. परि. ३३६०००, एकत्र १४०००७८। भरतादि ३९२०१२। १७९२०९०। सरियाओ जेत्तियाओ चेट्ठंते तेत्तियाणि वुडािंण। विक्खादाओ ताओ णियणियवुंडाण णामेिह।।२३८६।। वेंतरदेवा बहुओ णियणियवुंडाण णामविदिदाओ। पल्लाउपमाणाओ णिवसंता ताण दिव्वगिरिभवणे।।२३८७।। जेत्तिय वडा जेत्तिय सरियाओ जेत्तियाओ वणसंडा। जेत्तिय सुरणयरीओ जेत्तिय जिणणाहभवणािण।।२३८८।। जेत्तिय विज्जाहरसेढियाओ जेत्तियाओ पुरियाओ। अज्जाखंडे जेत्तिय णयरीओ जेत्तियद्दिदहा।।२३८९।। वेदीओ तेत्तियाओ णियणियजोग्गाओ ताण पत्तेक्वं। जोयणदलमुच्छेहो रुंदा चावाणि पंचसया।।२३९०।।१ । दंड ५००। णवरि विसेसो एसो देवारण्णस्स भूदरण्णस्स। जोयणमेक्वं उदओ दंडसहस्सं च वित्थारो।।२३९१।। वुंडवणसंडसरियासुरणयरीसेलतोरणद्दारा। विज्जाहरवरसेढीणयरज्जाखंडणयरीओ।।२३९२।। दहपंचयपुव्वावरविदेहगामादिसम्मलीरुक्खा।जेत्तियमेत्ता जंबूरुक्खाइं य तेत्तिया जिणणिकेदा।।२३९३।। छक्कुलसेला सव्वे विजयड्ढा होंति तीस चउजुत्ता। सोलस वक्खारगिरी वारणदंताइ चत्तारो।।२३९४।।६।३४।१६।४। तह अट्ठ दिग्गइंदा णाभिगििंरदा हवंति चत्तारि। चोत्तीस वसहसेला कंचणसेला सयाण दुवे।।२३९५।।८। ४। ३४। २००।
शून्य, पाँच, एक, चार, नौ, छह, पाँच, शून्य, नौ और सात, इन अंकों के क्रम से जो संख्या हो, उतने योजनप्रमाण जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल है।।२३७९।। ७९०५६९४१५०। भरतक्षेत्र की नदियां अट्ठाईस हजार दो और हैमवतक्षेत्र की नदियाँ दो कम इससे दूनी अर्थात् छप्पन हजार दो हैं।।२३८०।। २८००२ । ५६००२। हरिवर्षक्षेत्र में भी नदियों का प्रमाण हैमवतक्षेत्र की नदियों से दो कम दुगुणित संख्यारूप अर्थात् एक लाख बारह हजार दो जानना चाहिए।।२३८१।। ११२००२। इन तीन क्षेत्रों की नदियों को मिलाकर दूना करने से (तीन लाख बानवे हजार बारह होता है।) देवकुरु और उत्तकुरु में इन नदियों की संख्या एक लाख अड़सठ हजार प्रमाण है।।२३८२-२३८३।। पूर्वापर विदेहक्षेत्रों की सब दिव्य नदियाँ चौदह लाख अठहत्तर हैं।।२३८४।। १४०००७८। इस प्रकार सब मिलकर जम्बूद्वीप में सत्रह लाख बानवे हजार नब्बे नदियाँ हैं।।२३८५।। ७९२०९०। नदीसंख्या—ाqवदेह में सीता-सीतोदा २, क्षेत्रनदी ६४, विभंगा १२, सीता-सीतोदा-परिवार १६८०००, क्षे. न. परिवार ८९६०००, विभंगापरिवार ३,३६०००, एकत्र १४०००७८। भरतादिक शेष छह क्षेत्र ३९२०१२। समस्त—१७९२०९०। जितनी नदियाँ हैं उतने ही कुण्ड भी स्थित हैं। वे नदियाँ अपने-अपने कुण्डों के नामों से विख्यात हैं।।२३८६।। अपने कुण्डों के नामों से विदित बहुत से व्यन्तरदेव एक पल्यप्रमाण आयु से सहित होते हुए उन कुण्डों के दिव्य गिरिभवन में निवास करते हैं।।२३८७।। जितने कुण्ड, जितनी नदियाँ, जितने वनसमूह, जितनी देवनगरियाँ, जितने जिनेन्द्रभवन, जितनी विद्याधरश्रेणियाँ, जितने नगर, आर्यखण्डों की जितनी नगरियाँ, जितने पर्वत और जितने द्रह हैं, उनमें से प्रत्येक के अपने-अपने योग्य उतनी ही वेदियाँ हैं। इन वेदियों की ऊँचाई आधा योजन और विस्तार पाँच सौ धनुषप्रमाण है।।२३८८-२३९०।। वेदियों की ऊँचाई १/२ यो.। विस्तार ५०० धनुष। विशेष यह है कि देवारण्य और भूतारण्य की जो वेदियाँ हैं, उनकी ऊँचाई एक योजन व विस्तार एक हजार धनुषप्रमाण है।।२३९१।। कुण्ड, वनसमूह, नदियाँ, देवनगरियाँ, पर्वत, तोरणद्वार, विद्याधरश्रेणियों के नगर, आर्यखण्डों की नगरियाँ, द्रहपंचक (पाँच-पाँच द्रह), पूर्वापरविदेहों के ग्रामादिक, शाल्मलीवृक्ष और जम्बूवृक्ष जितने हैं उतने ही जिनभवन भी हैं।।२३९२-२३९३।। जम्बूद्वीप में सब कुलपर्वत छह, विजयाद्र्ध चौंतीस, वक्षारगिरि सोलह और गजदन्त चार हैं।।२३९४।। कुलशैल ६। विजयार्ध ३४। वक्षारगिरि १६। गजदन्त पर्वत ४। दिग्गजेन्द्रपर्वत आठ, नाभिगिरीन्द्र चार, वृक्षभशैल चौंतीस तथा कांचनशैल दो सौ हैं।।२३९५।। दिग्गजेन्द्र ८। नाभिगिरि ४। वृषभशैल ३४। कांचनशैल २००।