जम्बूद्वीप की चारों दिशाओं में विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित इन नामों से प्रसिद्ध चार द्वार हैं।
पूर्व दिशा में विजय द्वार, दक्षिण में वैजयंत, पश्चिम में जयंत और उत्तर दिशा में अपराजित द्वार हैं। इन प्रत्येक द्वारों की ऊँचाई आठ योजन एवं चौड़ाई ४ योजन प्रमाण है। उत्कृष्ट वङ्कामय कपाटों से युक्त चित्र-विचित्र रत्नों की मालाओं से सुंदर ये चारों द्वार व्यंतर देवों से सदैव रक्षित हैं। प्रत्येक द्वार के उपरिम भाग में सत्रह तलों से युक्त, अनेक उत्तम बरामदों से सुशोभित, प्रदीप्त रत्नदीपकों से सहित, अनेक प्रकार की उत्तम पुत्तलिकाओं से युक्त खम्भों वाले, फहराती हुई ध्वजा पताकाओं से युक्त विविध प्रकार के दृश्यों से रमणीय, उत्तुुंग रत्न शिखरों से संयुक्त चारों तरफ नाना प्रकार के स्पष्ट रूपों से युक्त, देवों व अप्सराओं से सेवित और पट्टांशुक आदि से शोभायमान द्वार प्रासाद हैं। गोपुर द्वारों पर सिंहासन, तीन छत्र, भामण्डल और चामरादिक से रमणीय रत्नमय जिन प्रतिमाएँ शोभायमान होती हैं।