जिस पुरुष में जयश्री निवास करती है, उसका सब प्रकार आदर के साथ रक्षण करो क्योंकि चन्द्र के अस्त होने पर तारों से प्रकाश नहीं होता। सुच्चिय सूरो सो चेव, पंडिओ तं पसंसिमो निच्चं। इंदियचोरेहिं सया, न लुंटिअं जस्स चरणधणं।।
वही सच्चा शूरवीर है, वही सच्चा पंडित है और उसी की हम नित्य प्रशंसा करते हैं जिसका चारित्र रूपी धन इन्द्रियों रूपी चोरों ने लूटा नहीं है, सदा सुरक्षित है। गुणकारिआइं धणियं, घिइरज्जुनियंतिआइं तुह जीव। निजयाइं इंदियाइं, बल्लिनिअत्ता तुरंगुव्व।।
वश किया हुआ बलिष्ठ घोड़ा जिस प्रकार बहुत लाभदायक है, उसी प्रकार धैर्य रूपी लगाम द्वारा वश में की हुई स्वयं की इन्द्रियाँ तुझे बहुत ही लाभदायक होंगी। अत: इन्द्रियों को वश में कर, उनका निग्रह कर। नाणेण य झाणेण य, तवोबलेण य बला निरुंभंति। इंदियविसयकसाया, धरिया तुरग व्व रज्जूहि।।
ज्ञान, ध्यान और तपोबल से इन्द्रिय—विषयों और कषायों को बलपूर्वक रोकना चाहिए, जैसे कि लगाम के द्वारा घोड़ों को बलपूर्वक रोका जाता है।