२६ नवम्बर, १९४९ को अन्तरिम रूप से पारित संविधान पर हस्ताक्षर के समय सदन में कुल २८४ सदस्य उपस्थित थे।
# डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वह संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष थे।
# सबसे पहले १८९५ में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने यह मांग की थी कि अंग्रेजों के अधीनस्थ भारत वर्ष का संविधान स्वयं भारतीयों द्वारा भारत के लिए स्वराज्य विधेयक के प्रारूप को, जिसमें पहली बार भारत के लिए स्वतंत्र संविधान सभा के गठन की मांग की गई थी, ब्रिटिश सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया था।
# १९२२ में राष्ट्रीय महात्मा गांधी ने यह मांग की थी कि भारत का राजनैतिक भाग्य भारतीय स्वयं बनाएंगे और १९२४ में एक बार फिर पं. मोतीलाल नेहरू ने संविधान सभा के गठन की मांग की थी, लेकिन अंग्रेजों द्वारा उनकी मांग को भी ठुकरा दिया गया। उसके बाद से संविधान सभा के गठन की मांग लगातार उठती रही लेकिन अंग्रेजों द्वारा इसे हर बार ठुकराया जाता रहा।
# १९३९ में कांग्रेस अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि स्वतंत्र देश के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा ही एकमात्र उपाय है और अंतत: १९४० में ब्रिटिश सरकार ने इस मांग को मान लिया कि भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा ही बनाया जाए।
# १९४२ में क्रिप्स कमीशन ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा, जो भारत का संविधान तैयार करेगी।
# १९४६ में केबिनेट कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में संविधान सभा का विस्तृत विवरण तैयार करके संविधान सभा की कुल ३८९ सीटों में से ब्रिटिश भारत को २९६ व देशी रियासतों को कुल ९३ सीटें दी।
# जुलाई १९९६ में २९६ सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को २०८, मुस्लिम लीग को ७३, निर्दलियों को ८, अन्य छोटे दलों को ६ व कम्युनिस्ट पार्टी को १ सीट मिली।
# ९ दिसम्बर, १९४६ को संविधान सभा सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में पहली बार समवेत हुई थी लेकिन मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान बनाने की मांग को लेकर इस बैठक का बहिष्कार किया और इसलिए बैठक में सिर्फ २१० सदस्य ही उपस्थित थे।
# ११ दिसम्बर, १९४६, को हुई संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया और वे संविधान के निर्माण का कार्य पूरा होने तक इस पद पर रहे।
# देश की आजादी से एक दिन पहले १४ अगस्त, १९४६ को भारत डोमिनियम की प्रभुता सम्पन्न संविधान सभा पुन: समवेत हुई और १९ अगस्त, १९४६ को स्वतंत्र भारत में संविधान सभा द्वारा संविधान निर्मात्री समिति का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष सर्वसम्मति से डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया।
# २९ अगस्त,१९४७ को गठित सात सदस्यीय संविधान प्रारूप समिति के सदस्य थे— डॉ. भीमराव अम्बेडकर, एन. गोपालस्वामी आयंगर, अल्लादि कृष्ण स्वामी अय्यर, चौ. सादुल्ला, के.एम.मुंशी, बी.एल. मित्तल तथा डी.पी.खेतान।
# प्रारूप समिति के अलावा संविधान निर्मात्री समिति के अन्य प्रमुख सदस्यों में पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सच्चिदानंद शाह इत्यादि प्रमुख थे।
# संविधान प्रारूप समिति की बैठके ११४ दिन तक चलीं।
# संविधान सभा के कुल ११ अधिवेशन १६७ दिनों तक चले, जिनमें ५ अधिवेशनों में ११४ दिनों में संविधान का मसौदा तैयार किया गया और शेष ६ अधिवेशनों में मूलभूत अधिकार, केन्द्र का विधान एवं अधिकार, प्रादेशिक विधान एवं अधिकार, अल्पसंख्यक वर्ग व अनुसूचित जाति एवं जनजाति सम्बन्धी समितियों की रिपोर्टों का अन्तिम रूप से क्रियान्वयन व निस्तारण का काम किया गया।
# संविधान के निर्माण में कुल २ वर्ष ११ माह १८ दिन का समय लगा।
# संविधान के निर्माण कार्य पर कुल ६३ लाख ९६ हजार ७२९ रूपए का खर्च आया।
# संविधान के निर्माण कार्य में कुल ७६३५ सूचनाओं पर चर्चा की गई।
# संविधान सभा के परामर्शदाता बी.एन. राव के निर्देशन में ६० देशों के संविधान का गहन अध्ययन किया गया और उनके प्रमुख तथ्य तीन भागों में संकलित किए गए, जिन्हें संविधान सभा के सभी सदस्यों में वितरित किया गया और संविधान के निर्माण के लिए बनी विभिन्न समितियों की सिफारिशों के आधार पर संविधान का प्रथम प्रारूप तैयार किया गया। # संविधान के मूल मसौदे में २४३ अनुच्छेद तथा १३ परिशिष्ट थे लेकिन कुछ परिवर्तनों व संशाधनों के बाद संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत संग्रहित मसौदे में ३१५ अनुच्छेदों व ८ परिशिष्टों को प्रस्तावित किया गया तथा चर्चा के परान्त संविधान सभा के अनुच्छेदों की संख्या बढ़ाकर ३८५ कर दी किन्तु अन्तिम निर्णय के रूप में ३९५ अनुच्छेद व ८ परिशिष्ट हो गए।
# २६ जनवरी, १९५० को भारत का संविधान लागू होने के बाद से अब तक संविधान में हुए अनेक संशाधनों के बाद भारतीय संविधान में ४४० से भी अधिक अनुच्छेद व १२ परिशिष्ट हो चुके हैं।