घरेलू उपयोग के भंडार कक्ष विपरीत क्रम में होने से मानव की सकारात्मक ऊर्जा अवरुद्ध होने लगती है और जीवन में कई तरह की बीमारियां , दु:ख,कलह, संबंधों में अनबन, आर्थिक हानि, शत्रु भय जैसे जोखिमों से दो-चार होना पड़ता है, जिससे परिवार के सभी सदस्य प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। दूसरी तरफ बड़े व विभिन्न औद्योगिक प्रयोजनों हेतु, निर्मित भंडार कक्ष जैसे—अनाज गोदाम, कोल्ड स्टोर, मेडिकल स्टोर,कारखानों व फैक्ट्रियों के स्टोर आदि । माल को भंडारित करने की तकनीक यदि वास्तु नियमों के विरूद्ध हैं तो निश्चित तौर पर वहाँ पर सकारात्मक ऊर्जा का परिवर्तन नकारात्मक ऊर्जा के रूप में कुछ अंतराल के बाद होने लगता है जिसके कारण कर्मचारियों में तालमेल का अभाव व प्रमुख मालिक को चिंता, बैचैनी और रोगों का सामना करना पड़ता है तथा भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। बाजार में बनी हुई साख भी प्रभावित होने लगती हैं।
हानि से बचने हेतु वास्तु नियम
भवन के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में भंडार कक्ष का निर्माण न करें। इससे पुत्र, धन हानि होगी तथा सकारात्मक ऊर्जा शक्तिशाली नकारात्मक ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। इस दिशा में कोई घरेलू उपयोग का भारी सामान या मशीनरी यंत्र को भी न रखें या स्थापित करें। भवन के पूर्व दिशा में भंडार कक्ष के निर्माण से निर्बाध रूप से प्रवेश करने वाली प्राकृतिक ऊर्जा अवरूद्ध रहेगी । इससे पुत्र-पिता और अन्य संबंधों में कलह रहेगी। अग्निकोण (दक्षिण पूर्व) में भंडार कक्ष का निर्माण आर्थिक हानि देगा अतएवं इस जगह पर भंडारण व्यवस्था न करें। भारी सामान के उपयोग हेतु दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्टोर रूम बना सकते हैं। इससे स्वास्थ्य एवं धनलाभ अधिक होगा। भवन के उत्तरी भाग में वजन में हल्के और मूल्यवान सामान के प्रयोग हेतु भंडार कक्ष का निर्धारण करना चाहिए। यह शुभ और लाभदायक स्थिति है” इससे धन, वैभव आता रहता है। बहुमूल्य गहने, वस्तुएं आदि की बढ़ोत्तरी हेतु अलमारी को दक्षिणी दीवार से इस प्रकार सटाकर रखें कि वह उत्तर दिशा की ओर खुले। भवन के पश्चिमी या दक्षिणी दिशा में भारी सामान हेतु भंडार गृह का निर्माण शुभ व अच्छा माना गया है। यदि बिक्री हेतु भंडार कक्ष बनाना है तो उसे वायव्य कोण में बनाएं। इस कोण में रखा हुआ सामान विक्रय लक्ष्य को देने वाला होगा। घरों में दैनिक प्रयोग के भंडार जैसे कपड़े, अनाज आदि को वायव्य कोण में भंडारित करना चाहिए। जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती रहती है। भूखण्ड के मध्य में अर्थात् भवन के बीच के हिस्से में भी भंडारण व्यवस्था वर्जित है। यहाँ स्टोर रूम होने से मानसिक, शारीरिक, आर्थिक स्थिति गंभीर हो सकती है। इसे सदैव खुला व भारमुक्त रखना चाहिए।