तिरंगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। राष्ट्रीय ध्वज कैसे निर्मित हुआ इसका एक लम्बा इतिहास है। १९३१ में राष्ट्रीय झंडे का एक नमूना बनाया गया था पर उसे कांग्रेस ने स्वीकार नहीं किया। बाद में उसी वर्ष कांग्रेस ने एक राष्ट्रीय झंडा स्वीकार किया। आजादी के बाद राष्ट्रीय झंडे में चरखे के स्थान पर अशोक चक्र बनाया गया। इस तिरंगे ध्वज को संविधान सभा ने २२ जुलाई १९४७ को अपनाया । इसे १४ अगस्त १९४७ को संविधान सभा के अर्धरात्रि कालीन अधिवेशन में राष्ट्र को समर्पित किया गया।
राष्ट्रीय ध्वज का आकार एवं विशेषताएँ
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंगों को अपनाया गया है। सबसे उपर केसरिया रंग है जो शौर्य, बलिदान, त्याग विरक्ति, तथा विनम्रता का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग की पट्टी है जो सत्य, सादगी और पवित्रता की प्रतीक है। सबसे नीच गहरा हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। यह तीनों रंग भारत के तीन प्रमुख धर्मों वैदिक, ईसाई तथा इस्लाम का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। राष्ट्रीय ध्वज में सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र में २४ आरे हैं जो हमें निरंतर कार्यरत रहने की प्रेरणा देते हैं तथा शिक्षा देते हैं कि चौबीसों घंटे हमें अपने कत्र्तव्य का पूर्ण सच्चाई व ईमानदारी के साथ पालन करना चाहिए। हमारे देश का राष्ट्रीय झंडा पंद्रह अगस्त, गंणतंत्र दिवस तथा अन्य मौकों पर हर नागरिक द्वारा फहराया जा सकता है। सरकारी इमारतों पर अक्सर राष्ट्रीय झंडा फहराया जाता है जिन सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय झंडा कहलाया जाता है उनमें मुख्य हैं— उच्चतम न्यायालय , राष्ट्रपति भवन, लोक सभा, राज्य सभा, सचिवालय, जिलाधीश का केद्रीय कार्यालय, केद्रीय जेल, जिला परिषद, नगर निगम, नगर पालिका के कार्यालय आदि। इसके अतिरिक्त रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के भवनों पर भी प्रतिदिन राष्ट्रीय झंडा फहराया जाता है। आम नागरिकों में राष्ट्रीय ध्वज के प्रति श्रद्धा भाव को देखते हुए राष्ट्रीय ध्वज संहिता २००२ में संशोधन किया गया है। इसके अनुसार अब राष्ट्रीय ध्वज को घर की छतों, सभी राजकीय भवनों में आम दिनों व समारोह में में भी प्रत्येक नागरिक फहरा सकता है। सूर्योदय होने पर ही राष्ट्रीय फहराया जाता है और सूर्यास्त होने पर झुका दिया जाता है । झंडे को हमेशा डोरी से फहराया जाना चाहिए और झुकाते समय धीमे से और आदर के साथ झुकाया जाना चाहिए। बहुत ही विशेष मौकों पर रात के समय भी राष्ट्रीय झंडा फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय झंडे को फहराते समय कुछ नियमों का सावधानी के साथ पालन किया जाना चाहिए। इस बारे में अन्य मुख्य नियम इस प्रकार हैं—
१.झंडा धुंधले रंग का नहीं होना चाहिए। वह सिकुड़ा अथवा मुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए। उसमें छेद नहीं होना चाहिए। वह कटा—फटा भी नहीं होना चाहिए। फटे हुए झंडे को सिल लेने के बाद भी अशोक चक्र में २४ लाईनें ही होनी चाहिए, कम या ज्यादा नहीं।
२. झंड़े को फहराते समय केसरिया रंग उपर होना चाहिए।
३. पर्दे के रूप में झंडे का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
४. झंडा सम्मानपूर्ण जगह पर फहराया जाना चाहिए। उसकी उँचाई इतनी हो कि उसे अच्छी तरह देखा जा सके वह धरती अथवा दीवार को न छुए और न ही वृक्ष की डालियों आदि से टकराये।
५. राष्ट्रीय झंडे का उपयोग तोरण—बंदनवार जैसी सजावट के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
६. झंडे अथवा झंडे वाले बांस पर फूलमाला नहीं चढ़ानी चाहिए।
७. झंडे पर किसी तरह की लिखावट नहीं होनी चाहिए।
८. राष्ट्रीय झंडे के साथ उसी बांस पर कोई अन्य झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
९. कई सरकारी दफ्तर किराये के भवनों में है, वहाँ दो या ज्यादा दफ्तर भी हो सकते हैं, ऐसी जगहों पर रोज झंडा फहराने की जरूरत नहीं है पर विशेष अवसरों पर इसे जरूर फहराना चाहिए।
१०. जब राष्ट्रीय झंडा कट—फट जाये या उसका उपयोग न किया जा सके, तो उसे एकांत में जलाकर नष्ट कर देना चाहिए उसे निरादरपूर्वक कहीं फैकना नहीं चाहिए।
११. झंड़ारोहण के समय सावधान की स्थिति में खड़े होकर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देनी चाहिए। झंडारोहण के समय झंडे में फूल बांध कर उसे ध्वज स्तम्भ के उपर टांग दिया जाता है। जब मुख्य अतिथि द्वारा झंडा फहराया जाता है। तो यह फूल मुख्य अतिथि पर गिरते हैं। कभी—कभी डोरी खींचने पर झंडा नहीं खुलता है , तब स्थित अत्यन्त दयनीय हो जाती है। केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय दिल्ली के कार्यालय ने पत्र क्रमांक ५/२/९५ डी.सी.ई. आर दिनांक २४ जनवरी १९९६ के द्वारा यह निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय ध्वज में फूल बांधकर फहराने की प्रथा को समाप्त किया जाये । इस आदेश का पालन सभी सरकारी विभागों तथा विद्यालयों आदि में नहीं हो रहा है। सभी सरकारी पदाधिकारियों को ध्यान देकर इसका भी पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय झंडे के प्रति आदर प्रकट करने के लिए कई बातों पर ध्यान रखना जरूरी होता है। हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और हमारे देश ने कई दूसरे देशों के साथ राजनीतिक संबंध बना रखे हैं। इसलिए कई ऐसे मौके आते हैं, जब दूसरे राष्ट्र का राष्ट्रीय झंड़ा भी अपने देश के राष्ट्रीय झंडे के साथ फहराया जाता है। इसके लिए भी कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।जब एक सीधी कतार में अन्य देशों के राष्ट्रीय झंड़ों के साथ हमारे देश का राष्ट्रीय झंडा भी फहराया जाता है तब वह सबसे दायीं ओर होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय झंडों की उस कतार के बीच में दर्शकों की ओर मुंह करके खड़ा हो, तो हमारा राष्ट्रीय झंडा उसके सबसे दायीं ओर होना चाहिए। २५ अक्टुबर का दिन पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब संयुक्त राष्ट्र के झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडा फहराया जाता है, तब उसे किसी भी तरफ फहराया जा सकता है। वैसे प्राय: हमारे राष्ट्रीय झंडे को सबसे दायीं ओर फहराया जाता है। कभी—कभी दुर्भाग्य से हमारे देश के किसी बड़े नेता की मृत्यु हो जाती है, ऐसे दु:खद मौको पर कोई राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका कर उसके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता है, यह तरीका बिल्कुल गलत है, राष्ट्रीय झंडा केवल उन्हीं इमारतों पर आधा झुकाया जाना चाहिए जहां हर रोज फहराया जाता है। इस तरह के मौकों पर हर नागरिक द्वारा राष्ट्रीय झंडे को आधा फहराना उचित नहीं है, उन्हें झंडा फहराना ही नहीं चाहिए।