जामुन एक ऐसा फल है जो वर्षाकाल में ही होता है । इसका फल स्वाद में कसैला और रूखापन पैदा करने वाला होता है। इसको खाते ही जीभ पर ऐंठन और रूक्षता उत्पन्न होती है, इसलिये इसे कम ही खाया जाता है। यहां इसके गुण और उपयोग का विवरण प्रस्तुत है ताकि इसकी उपयोगिता एवं गुणवत्ता की जानकारी हो सके।
गुण:—बड़ी जामुन स्वादिष्ट, भारी, रूचिकर और विष्टम्भी होती है और छोटी जामुन ग्राही, रूखी तथा पित्त, कफ, रक्तविकार तथा जलन का शमन करने वाली होती है। इसकी गुठली मल बांधने वाली तथा मधुमेह रोग नाशक होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, वसा, खनिज, द्रव्य तथा अन्य पौष्टिक तत्व होते है। यह विपाक में कटु और शीतवीर्य होती है। रुक्ष,कषाय और शीतयुक्त होने से यह प्रबल वास्तविक होती है, इसलिए इसे कम खाना ही उचित होता है।
घरेलू प्रयोग उदर व्याधि:— भोजनोपरांत १ चम्मच जामुन का सिरका थोड़े से पानी में घोल कर पीने से उदर व्याधियां दूर होती है, उदरशूल नष्ट होता है, तिल्ली और यकृत को लाभ मिलता है। जामुन का सिरका पंसारी या आचार मुरब्बा बेचने वाली दुकान पर मिलता है।
उल्टी दस्त:— जामुन का गूदा पानी में घोल कर शर्बत बना कर पीने से उल्टी, दस्त, जी मचलना, खूनी दस्त और खूनी बवासीर में लाभ होता है। मुंह के छाले:— इसके नरम पत्तों का पानी में पीसकर, इसका रस पानी सहित छान कर कुल्ले व गरारे करने से मुंह के छालों में आराम होता है।
मधुमेह— जामुन की गुठली का चूर्ण १.२ ग्राम सुबह पानी के साथ फांक कर लेने से मधुमेह रोग में आराम होता है। पैशाब में शक्कर आना बंद हो जाए, तब यह प्रयोग बंद कर देना चाहिए।
मसूढ़े :— इसके पत्तों को जलाकर राख कर लें और महीन पीस लें । इस चूर्ण को मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़े व दांत मजबूत व निरोग रहते हैं।
आंवयुक्त दस्त— जामुन की गुठली और आम की गुठली का चूर्ण समान मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को ३.३ ग्राम मात्रा में सुबह—शाम पानी के साथ लेने से आंवयुक्त दस्त आमातिसार होना बंद होता है।
पैर का छाला:— नये जूते पहनने पर पांव में छाला या घाव हो जाए तो इस पर जामुन की गुठली पानी में घिस कर लगाने से घाव ठीक होता है।
खूनी बवासीर:— इसके ताजे नरम पत्तों को गाय के पाव भर दूध में घोंट पीस कर प्रतिदिन सुबह पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।