प्रेंकफर्ट में जर्मन हेल्थ एसोशिएशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार आधे से अधिक जर्मन जिंक की कमी से पीड़ित हैं। जिंक की कमी से जुकाम, थकावट, भूख न लगना, घावों का धीमी गति से भरना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं और अगर इन समस्याओं को गंभीरता से न लिया जाए तो हमारा रोग प्रतिरोधक सिस्टम कमजोर हो सकता है। बालों का झड़ना व त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं। जर्मन हेल्थ एसोशिएशन के अनुसार आठ साल की उम्र के बच्चे को प्रतिदिन १५ मिलीग्राम जिंक की आवश्यकता होती है और एक गर्भवती महिला या बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली महिला को बीस से पचीस मिलीग्राम जिंक की आवश्यकता होती है। जिंक के अच्छे स्रोत पनीर है।