केवलज्ञान रूपी दिवाकर की किरणों के समूह से जिनका अज्ञान अंधकार सर्वथा नष्ट हो जाता है तथा नौ केवललब्धियों (सम्यक्त्व, अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अनंतसुख, अनंतवीर्य, दान, लाभ, भोग व उपभोग) के प्रकट होने से जिन्हें परमात्मा की संज्ञा प्राप्त हो जाती है, वे इन्द्रियादि की सहायता की अपेक्षा न रखने वाले ज्ञान—दर्शन से युक्त होने के कारण सयोगी केवली (तथा घाति कर्मों के विजेता होने के कारण) जिन कहलाते हैं। ऐसा अनादि निधन जिनागम में कहा गया है।