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जिसके स्मरण से पाप कटे, ऐसी वात्सल्यमयी माता!
June 14, 2020
भजन
jambudweep
जिसके स्मरण से पाप कटे, ऐसी वात्सल्यमयी माता
भारतभूमि पुण्य धरा पर, बड़ा उत्तरप्रदेश।
बाराबंकी जिले का, टिकैतनगर ग्रामेश।।१।।
छोटेलाल जी पिता तुम्हारे, माँ मोहिनी देवी।
पवित्र कूख से जन्म धरा पर, कर दी खुशहाली।।२।।
आश्विन शु. पूर्णिमा, चंद्रमा का धवल प्रकाश।
‘मैना’ ने जन्म लिया सन् उन्नीसौ चौबीस।।३।।
लालन पालन माँ पिता के, दिये धर्म संस्कार।
पद्मनंदिपंचविंशतिका गंथ का स्वाध्याय अपरंपार।।४।।
प्रतिभा ज्ञान झलकती थी, जब करते विद्याभ्यास।
काम, क्रोध, मद, लोभ शत्रु का करते सत्यानाश।।५।।
वैराग्य भाव की वृद्धि होने पर, किया गृह त्याग।
आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत लिया, आ. देशभूषण महाराज।।६।।
महावीर प्रभू का अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी।
१९५३ में क्षुल्लिका दीक्षा, नाम वीरमती जी।।७।।
चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी से हुआ साक्षात्कार।
माधोराजपुरा में आर्यिका दीक्षा गुरु आ. वीरसागर।।८।।
जग-हितकारि पर कल्याणी, शास्त्रवचन अनुसार।
हित-मित प्रिय वचनों से माता ने, कीना जग उद्धार।।९।।
कर चातुर्मास संघ यह, कीना धर्म प्रचार।
राजस्थान, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र, कर्नाटक बिहार।।१०।।
एम.पी., दिल्ली, बिहार एवं उत्तरप्रदेश।
आपके चरण स्पर्श से बने तीर्थ प्रदेश।।११।।
तीर्थोद्धार, तीर्थंकर भूमि का, कुशल मार्गदर्शन करें।
चंदना, मोतीसागर रविन्द्र के हाथों उद्धार करे।।१२।।
सहज सरलता से, कुण्डलपुर, प्रयाग बना महान।
मांगीतुंगी, अयोध्या, काकन्दी भी बनना है महान।।१३।।
शास्त्रों का शब्दांकन, सरलभाषा शास्त्रानुसार।
सत्यधर्म का पालन करने, करने सद्व्यवहार।।१४।।
मैं क्रोधी, रागी संसार सिंधु में फसा हुआ था।
वात्सल्यमयी माता के स्पर्श से किया निज अवलोकन।।१५।।
पतितोद्धारक मात से मैंने, आत्मोद्धार किया।।
दानव था मैं, मानव बनाया, नंदन खिला दिया।।१६।।
महाराष्ट्र भक्त मंडल, गणिनी ज्ञानमती का।
करता रहे कार्य हरदम, आशीर्वाद हो माताजी का।।१७।।
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