सूर्य एक प्राकृतिक चिकित्सालय है। सूर्य की सप्तरंगी किरणों में अद्भुत रोगनाशक शक्ति है। सुबह से शाम तक सूर्य अपनी किरणों, जिनमें औषधीय गुणों का अपार भंडार है, अनेक रोग उत्पादक कीटाणुओं का नाश करता है। टीबी के कीटाणु उबलते पानी से भी जल्दी नहीं मरते, वे सूर्य के तेज प्रकाश से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं। फिर दूसरे जीवाणुओं के नाश होने में संदेह ही क्या है। स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है। प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर अंगों को पुन: सशक्त और सक्रिय बनाने की अद्भुत क्षमता है। इस तरह सूर्य प्रकाश अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन के लिए आवश्यक है। सूर्य के प्रकाश का संबंध सिर्फ गर्मी देने से नहीं है। इसका मनुष्य के आहार के साथ भी घनिष्ठ संबंध है। छोटे — बड़े पौधे व वनस्पतियों के पत्ते सूरज की किरणों के सानिध्य से क्लोरोफिल नामक तत्व का निर्माण करते हैं। इस तत्व के बिना पत्तों में कुदरती हरापन नहीं रहता। हम खान—पान में प्राय: हरी सब्जियों का प्रयोग करते हैं। इन हरी सब्जियों में ही मानव शरीर के पोषक तत्व रहते हैं।