मनुष्य के पास दिल तो होता है, पर दिल होना तभी सार्थक है, जब उस दिल में दया के भाव हों । बिना दया वाला न तो दिल है न ही दिल वाला मनुष्य मनुष्यता लिए हुए। यदि आप चाहते है कि आपका जीवन सुखी रहे तो आपको अपने व्यक्तिव में और जीवन शैली में परिवर्तन लाना जरूरी है । इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखिए । अपने अंदर आत्मविश्वास के साथ ही आत्मसम्मान भी बनाए रखें । हमेशा आशावादि दृष्टिकोण रखें । याद रखें कि निराशा असफलता के द्वार खोलती है । स्वाभिमानी बनें, अभिमानी नहीं । बचत करना, यानी बरकत बनाए रखना । हमेशा अपने खर्चों पर काबू रखिए । वैश्वीकरण के इस युग में बाजारुवाद से बचिए। बेकार के सामानों से जो अनावश्यक है, घर में अटाला करने से बचें। चकाचौंध से बचकर रहें।
कुछ ऐसी ख्वाहिशें है, जिनकी कोई सीमा नहीं, बल्कि इनके प्रति जरुरत से ज्यादा आर्क़षण घर में तनाव पैदा कर सकता है । सुखमय जीवन का सबसे बड़ा पहलू है घर—परिवार के सदस्यों को स्पेस देना। एक प्रकार की सामंजस्यता स्थापित करना। इससे आपस में प्रेमभाव बढ़ता है । कभी भी अपने घर की बातें, अपने दिल की बातें, घर से बाहर न जाने दें। चाहे आपस में कितना भी झगड़ा हो। साथ ही अपनी बात कम करें, दूसरों की बातें ज्यादा सुनें । जीवन के अहम फैसलाखुद ही लें । दूसरों की राय को, दूसरों के फैसलाको अहमियत देकर न तो फैसला लें, न घर में दरार पैदा करें। यदि आपको लगता है कि दूसरों की राय सही है तो मानने से पहले सोच विचार कर फैसला करें ।
यदि आपसे कोई गलती या भूल हो गई हो तो अपनी गलती मानने में कभी हिचकिचाएं नहीं । अपनी भूल मानने से कोई छोटा नहीं हो जाता । इस बात का ध्यान रखें । जीवन का व्यावहारिक पक्ष यह है कि अपने किसी साथी या किसी मित्र के द्वारा किए गए कार्य की तारीफ जरुर करें, इससे सामने वाले के दिल में आपके लिए जगह बनती है और अपनापन भी बढ़ता है । हमेशा इन तीन बातों का ध्यान रखें। स्वस्थ रहें, व्यस्त रहें और मस्त रहें । किसी के शादी—ब्याह में जाएँ तो मीन—मेंख, बुराई, प्रपंच से बचें । किसी भी नियम का पालन वहीं तक करें, जहाँ तक संभव हो सकें ।