(१२४) श्री महेन्द्रसेन—काष्ठासंघ नंदीतटगच्छ के आचार्यों में श्री विजयकीर्ति आचार्य हुए हैं। विजयकीर्ति के शिष्य श्री महेन्द्रसेन हुए हैं। आपका समय १८ वीं शती का प्रथमपाद है। आपकी दो रचनाएँ उपलब्ध हैं—सीताहरण, बारहमासा।
(१२५) सुरेन्द्रभूषण—आप देवेन्द्रकीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। आपने अटेर शाखा में सम्वत् १७६० में सम्यग्ज्ञान यंत्र, १७७२ में सम्यग्दर्शन यंत्र और सं. १७७२ में दशलक्षणयंत्र की स्थापना की थी। आपने ऋषिपंचमी कथा की भी रचना की है।