ज्योतिष्क देवों के ५ भेद हैं सूर्य, चंद्र, ग्रह, नक्षत्र और तारा। इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क देव कहते हैं। ये सभी विमान अर्धगोलक के सदृश हैं तथा मणिमय तोरणों से अलंकृत होते हुये निरंतर देव-देवियों से एवं जिन मंदिरों से सुशोभित हैंं। अपने को जो सूर्य, चंद्र तारे आदि दिखाई देते हैं यह उनके विमानों का नीचे वाला गोलाकार भाग है। जम्बूद्वीप में सभी ज्योतिष्क देव मेरु पर्वत को ११२१ योजन छोड़कर नित्य ही प्रदक्षिणा के क्रम से भ्रमण करते हैं।
इन ज्योतिर्वासी देवों के विमान इस चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन से प्रारंभ होकर ९०० योजन की ऊँचाई तक ११० योजन में स्थित हैं।