कुण्डल गाँव से २ किमी० दूर पहाड़ पर एक प्राकृतिक गुफा बनी हुई है। यह २६ फुट २ इंच लम्बी तथा १३ फुट ८ इंच चौड़ी है। गुफा के दो भाग हैं। दायीं ओर के भाग में पार्श्वनाथ प्रतिमा है। यह ३ फीट ८ इंच अवगाहना की कृष्ण वर्ण वाली पद्मासन प्रतिमा है। शिरोभाग पर नौ फण सुशोभित हैं। दायीं ओर पद्मावती देवी की २ फुट ७ इंच ऊँची कृष्ण वर्ण की चतुर्भुजी मूर्ति है। देवी के दो हाथ वरद मुद्रा में हैं। बायें हाथ में कमल और दायें हाथ में त्रिशूल है। देवी के सिर पर सप्तफण हैं। देवी कानों में कर्णफूल, गले में हार, भुजाओं में भुजबंद और हाथों में कंकण धारण किये हुए हैं। फण के ऊपर पार्श्वनाथ की लघु प्रतिमा बनी हुई है। उसके ऊपर फण और शिखर हैं। यह देवी-मूर्ति स्वतंत्र कोष्ठक में है। पार्श्वनाथ प्रतिमा के सामने ६ स्तंभों का एक मण्डप बना हुआ है। मण्डप के ऊपर गुफा की छत में दायीं ओर काले पाषाण हैं तथा बायें भाग में ताम्बुष पाषाण हैं। गुफा में, मण्डप में और मूर्ति के ऊपर निरन्तर जल झरता रहता है। इसलिए इस प्रतिमा को झरी पार्श्वनाथ कहते हैं। गुफा का बायाँ भाग १२ फीट लम्बा है। इसकी चौड़ाई पूर्ववत् है। इसमें आधे भाग में ४ फीट ऊँचा चबूतरा है तथा आगे भाग में कुण्ड बना हुआ है जिसमें ५ फीट गहरा जल है। कुण्ड में जल निरन्तर आता रहता है। गुफा के द्वार पर दीवार बनाकर उसमें दो द्वार निकाले गये हैं। इस गुफा के दायीं ओर कुछ ऊपर चढ़कर एक अन्य प्राकृतिक गुफा है। गुफा के बाह्य भाग में कुण्ड बना हुआ है जिसमें जल बराबर आता रहता है। गुफा के अंदर एक हॉल है तथा उसके अंदर एक छोटी गुफा है। छोटी गुफा की सामने की भित्ति में मध्य में हनुमान, बायीं ओर राम और दायीं ओर सीता की अनाम मूर्तियाँ बनी हुई हैं। एक अन्य गुफा इस गुफा के बगल में हैं। यह गुहा मंदिर दक्षिणाभिमुखी है। इस पहाड़ के सामने २-२।। मील दूर पर कृष्णा नदी बहती है। पहाड़ के सामने चौरस मैदान है।