ततस्तेन प्रपंचेन नीत्वा तं फललम्पटम्।
समुद्रे प्रकटीभूय प्रोक्तमित्थं च शत्रुणा१।।९।।
अर्थ-सुभौम चक्रवर्ती राजा कार्त्तवीर्य की रानी रेवती के पुत्र थे। चक्रवर्ती के एक रसोइया था। चक्रवर्ती जब भोजन करने बैठे तो रसोइये ने गरम खीर परोस दी। मुँह जल गया। चक्रवर्ती ने गरम खीर रसोइये के सिर पर दे मारा, वह मर गया और मरकर लवण समुद्र में व्यंतर देव हुआ। उसने एक तापसी बनकर अच्छे-अच्छे सुंदर फलों को अपने हाथ में लिए चक्रवर्ती को भेंट किया। चक्रवर्ती ने फल खाया, बड़े प्रसन्न हुए।
उन्होंने तापस से कहा ये फल आप कहाँ से लाये हैं, व्यंतर ने धोखा देकर चक्रवर्ती से कहा समुद्र के बीच में मेरा घर है। आप मेरे घर चालिए, मैं आपको मीठे-मीठे फल खिलाऊँगा। चक्रवर्ती लोभ में फंसकर व्यंतर के फांसे में आ गये और उसके साथ चल दिए।
रे रे दुष्ट मम प्राण- नाशकस्त्वं मदोद्धत:।
क्व यासि त्वमिदानीं च हन्यतेत्र मया ध्रुवम्।।१०।।
अर्थ-जब व्यंतर बीच समुद्र में पहुँचा और उसने गुस्से से चक्रवर्ती से कहा, रे पापी जानता है मैं तुझे यहाँ क्यों लाया हूँ ? सुनो! मैं रसोइया था, गरम खीर तुमने मेरे सिर पर पटक दी थी। मैं जलकर मर गया था, उसी का बदला लेने आया हूँ। एक उपाय है मेरे पास, जिससे तू बच सकता है।
यदा पञ्चनमस्कारां – ल्लिखित्वात्र जले द्रुतम्।
पादेन स्पृशसि व्यक्तं तदा त्वं मुच्यते मया।।११।।
अर्थ-यदि तू पानी में पंचनमस्कार मंत्र लिखकर उसे अपने पाँवों से मिटा दे तो तुझे मैं छोड़ सकता हूँ। अपनी जान बचाने के लिए कौन किस कार्य को नहीं कर डालता, उन्होंने यह नहीं सोचा कि इस अनर्थ से मेरी क्या दुर्दशा होगी।
तदासौ चक्रवर्ती च कृत्वा तत्कर्मनिन्दितम्।
कुधी: प्राणक्षयात्छ्रीघ्रं सप्तमं नरकं गत:।।१२।।
अर्थ-व्यंतर के कहे अनुसार चक्रवर्ती ने झटपट ही जल में मंत्र लिखकर पांव से उसे मिटा दिया, मंत्र मिटाते ही व्यंतर ने उन्हें मारकर समुद्र में पंâेक दिया। चक्रवर्ती मरकर इस पाप के फल से सातवें नरक चला गया।
धिङ्मूढत्वमहो लोके लंपटत्वं हि धिक्तराम्।
अष्टमश्चक्रभृच्चापि यतोसौ कुगतिं ययौ।।१३।।
अर्थ-उस मूर्खता को, उस लम्पटता को धिक्कार है, जिससे चक्रवर्ती-सारी पृथ्वी का सम्राट दुर्गति में गया। जिनका जिन भगवान के धर्म पर विश्वास नहीं होता उसे चक्रवर्ती की तरह कुगति में जाना पड़े, तो इसमें आश्चर्य क्या है ? अतएव इस महान मंत्र णमोकार का मन में भी अविनय नहीं करना चाहिए। ऐसे निन्दनीय कार्य करने वाले को कुगति में ही जाना पड़ता है।