जैनधर्म का अनादिनिधन अपराजित महामंत्र णमोकार मंत्र है। इस महामंत्र का हमेशा जाप्य करते रहना चाहिए। प्रत्येक जैनमंदिर के मुख्यद्वार के ऊपर व शिखर पर बड़े-बड़े अक्षरों में इसे लिखना चाहिए या पत्थर पर उत्कीर्ण कराकर लगा देना चाहिए, जिससे कि दूर से ही ‘यह जैन मंदिर है’ ऐसी पहचान हो जावे।
प्रत्येक जैन श्रावक को अपने मकान, दुकान, कार्यालय तथा अन्य सभी प्रतिष्ठानों के मुख्यद्वार के ऊपर इस णमोकार मंत्र को अवश्य लिखना चाहिए। इससे ‘जैनत्व’ की पहचान तो है ही, साथ ही भूत, प्रेत, चोर, डाकू, सर्प, बिच्छू आदि से भी सुरक्षा होगी और यह महामंत्र रक्षामंत्र होने से ‘कवच’ का काम करेगा।
इस प्रकार जैनधर्म को अनादिनिधन-शाश्वत सार्वभौम धर्म मानकर इसकी छत्रछाया में आकर सर्व जीवों पर दया भाव रखते हुए प्राणीमात्र में परस्पर में सौहार्द भाव धारण कर अपने मनुष्य जन्म को सार्थक करो, यही मंगलकामना है।