तकनीक का दुरुपयोग
तकनीक के दुरुपयोग को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो चिंता जताई, वह यही बताती है कि उसके गलत इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में दीपावली मिलन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह जानकारी दी कि उनका भी एक डीपफेक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें गरबा खेलते हुए दिखाया गया है। यदि तकनीक का गलत इस्तेमाल करने वाले प्रधानमंत्री को भी निशाना बना सकते हैं तो फिर यह सहज ही समझा जा सकता है कि वे किसी की भी अपना शिकार बना सकते हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पिछले दिनों रश्मिका मंदाना समेत कई अभिनेत्रियों के डीपफेक वीडियो सामने आ चुके हैं। चूंकि डीपफेक वीडियो की पहचान कर पाना आसान नहीं होता, इसलिए आम लोगों के लिए असली-नकली के भेद को समझ पाना मुश्किल होता है। जब किसी जानी-मानी हस्ती का डीपफेक वीडियो सामने आता है तो उसकी तो सुनवाई हो जाती है और पुलिस के साथ अन्य एजेंसियां भी सक्रिय हो जाती हैं, लेकिन यह किसी से छिपा नहीं कि यदि किसी आम आदमी की निशाना बनाया जाए तो उसकी सुनवाई मुश्किल से हो पाती है। यह ठीक है कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को यह निर्देश दिया है कि वे डीपफेक वीडियो की शिकायत मिलने पर उसे 36 घंटे के अंदर हटाएं, लेकिन कई बार ऐसे डीपफेक वीडियो बनाए जाते हैं, जो व्यक्ति विशेष के मान-सम्मान पर भारी पड़ते हैं या फिर उसकी निजता का उल्लंघन करते हैं। ऐसे वीडियो तो तत्काल प्रभाव से हटाए जाने चाहिए। डीपफेक फोटो या फिर वीडियो बनाने में जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है, वह एक क्रांतिकारी तकनीक है, लेकिन उसका जितना सदुपयोग हो सकता है, उतना ही दुरुपयोग भी।
कोई भी तकनीक हो, वह कई समस्याओं का समाधान करने और सहूलियत प्रदान करने के साथ कुछ खतरे भी लेकर आती है। इन खतरों से तभी बचा जा सकता है, जब तकनीक का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्ती की जाएगी और उन उपायों पर जोर दिया जाएगा, जिससे उसका गलत इस्तेमाल न हो सके। वैसे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर डीपफेक वीडियो बनाना आसान काम नहीं, लेकिन अब ऐसे कुछ एप आने लगे हैं, जिनसे यह काम कहीं अधिक आसानी से किया जा सकता है। डीपफेक फोटो या वीडियो इंटरनेट मीडिया पर अपलोड न किया जा सके, इसके लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि छेड़छाड़ कर बनाए गए वीडियो या फोटो किसी की निजता का उल्लंघन करने या फिर उसे बदनाम करने के साथ अराजकता और अफवाह फैलाने का भी काम करते हैं। वे दुष्प्रचार का भी माध्यम बनते हैं। कई बार यह देखने में आया है कि जब तक ऐसे वीडियो या फोटो के बारे में सच्चाई सामने आती है, तब तक नुकसान हो चुका होता है।