शत्रु, ऋण (कर्ज) और बीमारी को कभी छोटा मत समझों। जर, जोरू और जमीन ये तीन लड़ाई— झगड़े की जड़ हैं। विद्या, बुद्धि, चरित्र इन तीन चीजों को कोई चुरा नहीं सकता। पत्नी, भाई, मित्र तीनों की परीक्षा समय पर होती है। पराई स्त्री, निन्दा,कुसंगत तीनों से बचो। माता, पिता, गुरूजन तीनों की सेवा समान करो। ईश्वर, जीव, प्रकृति ये तीन प्रकृति के गुण हैं। जंगम, स्थावर, कृत्रिम विष तीन प्रकार के होते हैं। जाति, आयु, भोग प्रत्येक प्राणी जन्म के साथ लेकर आता है। भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक दु:ख तीन प्रकार के होते हैं। तीर कमान से, बात जबान से, प्राण शरीर से निकल कर वापस नहीं आती। समय, ग्राहक, मौत ये तीन किसी का इन्तजार नहीं करते। वात, पित्त, कफ ये तीन शरीर को चलाते हैं।