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अयोध्या
तीरथ करने चलीं ज्ञानमति, निज को तीर्थ बनाने को!
June 15, 2020
भजन
jambudweep
तीरथ करने चलीं
तर्ज—तीरथ करने चली सती……
तीरथ करने चलीं ज्ञानमति, निज को तीर्थ बनाने को।
मारग में जो आए तीरथ, उनकी कीर्ति बढ़ाने को।।
हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की, रचना को साकार किया।
तीर्थ अयोध्या को पावन, निधियाँ देकर विस्तार किया।।
राजधानी दिल्ली में पहुँची, ऋषभ जयंती मनाने को। तीरथ……।।१।।
अपनी कायिक जन्मभूमि, जिनमंदिर पर डाली दृष्टी।
ह्रीं और चौबिस तीर्थंकर, दिये वहाँ है धनवृष्टी।।
अतिशयक्षेत्र त्रिलोकपुरी में, पारिजात बनवाने को। तीरथ……।।२।।
दक्षिण भारत की यात्रा के, मध्य अनेकों कार्य हुए।
अतिशयक्षेत्र तिजारा में, सम्मेदशिखर के भाव हुए।।
चन्द्रप्रभू के चरणों में, पहुँची इक भेंट चढ़ाने को।। पहुँची इक…… तीरथ……।।३।।
महावीरजी में अपनी, दीक्षाभूमी को नमन किया।
शान्तीवीरनगर में प्रभु के, चरणों में शत नमन किया।।
कल्पवृक्ष मन्दार जिनालय, दी प्रेरणा बनाने को। दी प्रेरणा…… तीरथ……।।४।।
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर, कमल जिनालय बना दिया।
इक सौ अठ फुँट प्रतिमा के निर्माण की फिर प्रेरणा दिया।।
णमोकार का धाम सनावद, नगरी में बनवाने को।। नगरी…… तीरथ……।।५।।
महाराष्ट्र गुजरात व राजस्थान तथा हरियाणा में।
नूतन रचनाएँ दे दीं, ‘चन्दनामती’ जग को इनने।।
कई प्रान्त की यात्रा की, नूतन इतिहास बनाने को। नूतन…… तीरथ……।।६।।
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