कोई-कोई जीव इस मध्यलोक में तीर्थंकर प्रकृति के बंध के पहले यदि नरकायु का बंध कर लेते हैं तो पहले, दूसरे या तीसरे नरक तक जा सकते हैं वें तीर्थकर प्रकृति के सत्त्व वाले जीव भी वहाँ पर असाधारण दु:खों का अनुभव करते रहते हैं और सम्यक्त्व के माहात्म्य से पूर्वकृत कर्म के विपाक का चिंतवन करते रहते हैं। जब इनकी आयु ६ महीने अवशेष रह जाती है तब स्वर्ग के देव नरक में जाकर चारों तरफ के परकोटा बनाकर उस नारकी के उपसर्ग का निवारण कर देते हैं और मध्यलोक में रत्नों की वर्षा, माता की सेवा आदि उत्सव होने लगते हैं।