जन्म भूमि | अयोध्या (उत्तर प्रदेश) | प्रथम आहार | हस्तिनापुर के राजा श्रेयांस द्वारा (इक्षुरस) |
पिता | महाराज नाभिराय | केवलज्ञान | फाल्गुन कृ.११ |
माता | महारानी मरूदेवी | मोक्ष | माघ कृ.१४ |
वर्ण | क्षत्रिय | मोक्षस्थल | कैलाश पर्वत |
वंश | इक्ष्वाकु | समवसरण में गणधर | श्री वृषभसेन आदि ८४ |
देहवर्ण | तप्त स्वर्ण | मुनि | चौरासी हजार |
चिन्ह | बैल | गणिनी | आर्यिका ब्राह्मी |
आयु | चोरासी (८४ ) लाख पूर्व वर्ष | आर्यिका | तीन लाख पचास हजार (३००००) |
अवगाहना | दो हजार (२००० ) हाथ | श्रावक | तीन लाख (३०००००) |
गर्भ | आषाढ़ कृ. २ | श्राविका | पांच लाख (५०००००) |
जन्म | चैत्र कृ.९ | जिनशासन यक्ष | गोमुख देव |
तप | चैत्र कृ.९ | यक्षी | चक्रेश्वरी देवी |
दीक्षा -केवलज्ञान वन एवं वृक्ष | प्रयाग-सिद्धार्थवन, वट वृक्ष (अक्षयवट) |
भगवान ऋषभदेव वर्तमान वीर नि.सं.२५४५ से ३९५०५ वर्ष कम, सौ लाख करोड़ सागर अर्थात् एक कोड़ाकोड़ी सागर वर्ष पहले मोक्ष गए हैं। इससे चौरासी लाख पूर्व वर्ष पहले जन्में हैं।