विश्वस्तरीय शिक्षण का अद्वितीय संस्थान तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
भगवान् महावीर के जन्म के समय तक्षशिला नालंदा विश्वविद्यालय से भारत की पहचान होती थी परन्तु समय के साथ-साथ सब लुप्त होती चली गई। वर्तमान में भगवान् महावीर के जन्म के बाद “तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद” की स्थापना अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम है। इस संस्थान के प्रथम कुलाधिपति एवं संस्थापक श्री सुरेश जैन हैं, जिन्होंने अपनी चंचला लक्ष्मी का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में करके महान् कार्य किया है। इसकी स्थापना ने जैन समुदाय को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है।
अज्ञानता, अस्वस्थता तथा बेरोजगारी जैसी सामाजिक विषमताओं को दूर करने के लिए सन् २००१ में भगवान् महावीरस्वामी के नाम पर तीर्थंकर महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टैक्नोलॉजी की नींव रखी गई ।
यह विश्वविद्यालय २००८ में एक छोटे से पौधे के रूप में रोपित हुआ था, अब यह १४० एकड़ में भूमि में एक विशाल वटवृक्ष के रूप में अनेक संभावनाओं को संजोए १०० महाविद्यालयों को सफलतापूर्वक संचालित कर रहा है।
२०१६ में राष्ट्र के सर्वोत्तम १०० निजी विश्वविद्यालयों में इस संस्थान को सम्मिलित किया गया है। आगामी समय में विश्व के सर्वश्रेष्ठ २०० विश्वविद्यालयों में टी० एम० यू० की गणना होगी। तभी संस्थापक श्री सुरेश जैन का सपना साकार होगा।
सेंटर फॉर जैन स्टडीज की भी स्थापना की गई है जिसमें जैनदर्शन पर शोध कराया जाता है।
इस विश्वविद्यालय से अब तक विभिन्न विषयों में अनेक पी-एच० डी० हो चुकी हैं।
यहाँ देश-विदेशों के १४००० से अधिक विद्यार्थी, विश्वस्तरीय उच्च शिक्षा के ९०० से अधिक अनुभवी शिक्षकों के संरक्षण में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ।
विश्वविद्यालय के स्वच्छ वातावरण में ४६०० छात्र-छात्राओं के रहने हेतु सुविधाजनक छात्रावासों की व्यवस्था है और जैनधर्मानुसार भोजन की व्यवस्था है।
१००० शय्याओं का मल्टी एवं सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, विभिन्न प्रकार के खेल मैदान, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का इंडोर स्टेडियम, ऑडिटोरियम तथा व्यायामशाला की सुविधा भी उपलब्ध है।
इस विश्वविद्यालय का गौरव यह भी है कि विगत चार वर्षों में विश्वविद्यालय द्वारा १४०० से अधिक जैन छात्र-छात्राओं को ३८ करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति दी जा चुकी है।
इस विश्वविद्यालय में अधिकांश पाठ्यक्रमों में शिक्षण शुल्क में ५० प्रतिशत तथा छात्रावास शुल्क में २५ प्रतिशत छूट का प्रावधान है।
जैन विद्यार्थियों हेतु परिसर में महावीर जिनालय स्थित है। जिसमें लगभग १४०० जैन छात्र-छात्राएँ प्रतिदिन जिन-दर्शन एवं पूजा-अर्चना तथा आरती में अपनी सहभागिता करते हैं। पर्युषण महापर्व के दस दिनों में पूजन, विधान, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जैन विद्यार्थी बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं ।
जिनालय परिसर में समय-समय पर जैन साधुओं का पदार्पण होता है। जिससे विद्यार्थियों को नैतिक एवं धार्मिक संस्कार प्राप्त होते हैं ।
समस्त जैन समाज के लिए यह अत्यन्त हर्ष, गौरव एवं सम्मान का विषय है कि तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की स्थापना एवं विस्तार में बैंक के अतिरिक्त किसी भी वित्तीय संस्थान, राजकीय एवं केन्द्रीय सरकारी अथवा व्यक्तिगत अनुदान का किसी भी प्रकार का योगदान नहीं है।
विश्वविद्यालय को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है जिसमें वर्ष २०१२ में राजीव गाँधी श्रेष्ठता पुरस्कार, CIDC द्वारा २०१३ एवं २०१४ में शिक्षा क्षेत्र में योगदान के लिए विभिन्न ट्राफीज से सम्मानित किया गया।
प्रथम कुलाधिपति एवं संस्थापक श्री सुरेश जैन कहते हैं- जिस प्रकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मुस्लिमों की पहचान एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दुओं की पहचान होती है ठीक उसी प्रकार ‘तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय’ से जैनियों की पहचान अंकित होती है। सम्पूर्ण जैन समुदाय इस पर गर्व करता है | तीर्थंकर महावीर के नाम से जुड़ा यह विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ जैन संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं जैन छात्र-छात्राओं के पठन पाठन के लिए अपने अभूतपूर्व योगदान हेतु जैन इतिहास के पृष्ठों पर सदैव एक धरोहर के रूप में जाना जायेगा।