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तीर्थंकर श्री ऋषभदेव की, तपस्थली है प्रयाग
June 16, 2020
भजन
jambudweep
तीर्थंकर श्री ऋषभदेव की, तपस्थली है प्रयाग
तर्ज—बार-बार तोहे क्या समझाऊँ……
तीर्थंकर श्री ऋषभदेव की, तपस्थली है प्रयाग।
संगम के तट पर प्रभु का, तीरथ बना है पहली बार।। टेक.।।
इस धरती के पहले राजा, ऋषभदेव कहलाए।
हम सबको जीवन जीने के, सूत्र उन्होंने बताए।।
असि मसि आदि क्रिया बताकर, किया जगत उद्धार।
संगम के तट पर प्रभु का, तीरथ बना है पहली बार।।१।।
नाभिराय मरुदेवी के नन्दन, युग के आदि विधाता।
जा प्रयाग में दीक्षा धारी, वृषभेश्वर जगत्राता।।
उसी तीर्थ पर बहे ‘चंदनामती’, त्रिवेणी धार।
संगम के तट पर प्रभु का, तीरथ बना है पहली बार।।२।।
तपस्थली पर देखो सुन्दर, ऋषभदेव की प्रतिमा।
समवसरण कैलाशगिरी, वटवृक्ष की अद्भुत महिमा।।
ज्ञानमती माताजी की, प्रेरणा हुई साकार।
संगम के तट पर प्रभु का, तीरथ बना है पहली बार।।३।।
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