तर्ज—देख तेरे संसार……
तीर्थ प्रयाग में देखो कैसा, हुआ भव्य निर्माण,
बन गया तीरथराज महान।।टेक.।।
ऋषभदेव की तपोभूमि है।
जिनशासन की यशोभूमि है।।
कोड़ाकोड़ी वर्ष बाद सब भूल गए थे नाम,
बन गया तीरथराज महान।।१।।
ज्ञानमती माता ने बताया।
भक्तों ने तब तीर्थ बनाया।।
एक यही प्रेरणा विश्व के लिए बनी वरदान,
बन गया तीरथराज महान।।२।।
तपकल्याणक का उपवन है।
ज्ञानकल्याणक समवसरण है।।
बीचोंबिच कैलाश शिखर पर ऋषभदेव भगवान,
बन गया तीरथराज महान।।३।।
तीर्थ पुराना नाम नया है।
सुन्दर नवनिर्माण हुआ है।।
तीर्थंकर श्री ऋषभदेव की तपस्थली शुभ धाम,
बन गया तीरथराज महान।।४।।
नई सदी का पुण्य उदय है।
मिला उसे जब तीरथ नव है।।
सभी ‘‘चन्दनामती’’ तीर्थ को करते कोटि प्रणाम,
बन गया तीरथराज महान।।५।।