==तेरी चंदन सी रज में == center”200px”]] ”तर्ज—सज धज कर……” तेरी चंदन सी रज में, इक उपवन खिलाया है। कुण्डलपुर के महावीरा, तेरा महल बनाया है।।टेक.।। 135px”left]] 120px”right]] जन्मे जहाँ खेले जहाँ, त्रिशला माँ के नन्दन। उस कुण्डलपुर की माटी का, सचमुच कण-कण चन्दन।। चन्दन सी उस माटी को अब सिर पर लगाया है। कुण्डलपुर के महावीरा, तेरा महल बनाया है।।१।। 135px”left]] 89px”right]] सोने का नंद्यावर्त महल, सिद्धारथजी का था। मणियों के पलंग पर त्रिशला ने, सपनों को देखा था।। उन सपनों को सच्चे करके, फिर से दिखाया है। कुण्डलपुर के महावीरा, तेरा महल बनाया है।।२।। 95px”left]] 120px”right]] प्राचीन इक मंदिर प्रभू का, कुण्डलपुर में है। ‘‘चंदनामती’’ महावीर विराजे, उस मंदिर में हैं।। भावना सभी भक्तों की जो, प्रभु तक पहुँचाया है। कुण्डलपुर के महावीरा, तेरा महल बनाया है।।३।। center”150px]]