1.जो विश्वास घात को चतुरता का पर्यायवाची समझता है वह शातिर दिमाग का इंसान नहीं शैतान है। (एलाचार्य मुनि वसुनंदी जी)
2.सम्मान की अपेक्षा रखना ही अपमान का प्रारम्भ है। दोस्ती दुश्मनी के साथ छिपकर आती है। (आर्यिका गुरुनंदनी माताजी)
3.चिन्ता उसे होती है जिसे ईश्वर पर पुरुषार्थ और अपने भाग्य पर विश्वास नहीं है। (आर्यिका सोम्यनंदनी माताजी)
4.अतीत से शिक्षा वर्तमान में सर्तकता भविष्य के प्रति चेतना के साथ किया गया कार्य कभी असफल नहीं होता।
5.क्या अच्छा है, क्या बुरा है, यह आप पर नहीं समाज पर निर्भर करता है। (आर्यिका ब्रह्मनंदनी माताजी)
6.घनिष्ठता भले ही घृणा उत्पन्न न करें किन्तु प्रशंसा खो बैठती है। (आर्यिका श्री नंदनी माताजी)
7.पराजित का काम छिद्रान्वेषण करना है जुगनू तभी चमकता है जब तक वह उड़ता है इन्सान तब तक चमकता है जब तक कुछ करता है। (आर्यिका पदमनंदनी माताजी)
8.बिना स्वार्थ के कोई भी महिला किसी भी पुरुष की अंकशायिनी नहीं बनती (जार्ज बनार्ड शा) 9.नारी अंकशायिनी बनकर ईश्वर महात्मा को ही नहीं वरन् विशाल पर्वतों को भी डावाडोल कर सकती हैं। (गरूण पुराण) 10.अंत तक संघर्ष करने वाला ही सच्चा वीर है। (भीष्म पितामह) 11.दुश्मन को कभी छोटा न समझे एक छोटी सी चिगारी भी दहकता अंगारा बन जाती है। (नेपालियन) 12.अंगारा बनकर जो अपने मन की चिन्ताओं भय और दुख को जला डालते हैं। उनको जीवन में सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है। (स्वेट मार्डन) 13.जो काम हाथ में लो उसे अंत तक पूरा करो वरना हाथ कुछ न आयेगा। (जेम्सऐल) 14.आदमी के बात करने का अंदाज बतला देता है कि वह क्या है (फरदून) 15.अन्धविश्वास पागलपन का दूसरा नाम है। (एनी बेसेंट) 16.हर अन्धेरा प्रकाश के आगमन का सूचक है। (मत्स्य पुराण) 17.‘मनुष्य के गुणों, आत्मविश्वास शक्ति की परीक्षा उसी समय होती है जब उसके जीवन में अंधेरा छा जाता है वह अपनी राह भूल जाता है यही परीक्षा का समय माना गया है। (किम सुंग लू) left”200px”]] 18.हमेशा सतर्व रहों, प्रकाश की कुछ ऐसी व्यवस्था करो कि तुम्हारे जीवन में अंधेरा आने ही न पाये (सर राम से) 19.अकाल मृत्यु पाप का फल है। जो अपने को अंकिचन मानता है वही महान है। अच्छी बातें नहीं अच्छे काम करो (ईसा मसीह) 20.बाहर से बुरा दिखने वाला भीतर से अच्छा होता है। बाहर की अच्छाई से मुझे नफरत है। (जार्ज वर्नाड शॉ) 21.अधकचरा ज्ञान सदा खतरनाक है। (कहावत) 22.ज्ञान के प्रति सदा अतृप्त रहों (चर्वाक्) 23.अनजान बनकर सब सुनना ही विद्वान पुरुष का लक्षण है। (अष्टावक मुनि) 24.कभी किसी का, बल्कि कुत्ते का भी अनादर न करें। (अष्टावक मुनि) 25.अपना अनुभव हमेशा लाभदायक होता है। उसे स्मरण करना चाहिए। अनुभव जीवन की पाठशाला के सबसे बड़े शिक्षक है। (मैक्सिम गोर्की) 26.दूसरों की अनुकम्पा पर जीवित मनुष्य भिखारी के समान है। (सुश्रूत) 27.अपमानित होना या मर जाना एक बराबर है। (चाणक्य) 28.अपयश से बड़ा कलंक दूसरा नहीं है। (मनुस्मृति) 29.कुछ न कुछ करते रहो यश न सही अपयश सही यश अपयश तो हमारे कर्मो का फल है।(जार्ज) 30.अपराधी को क्षमा कर देने में सबसे बड़ा दण्ड मानता हूँ। (महात्मा गाँधी) 31.मेरे शब्दकोष में असंभव शब्द नहीं है। (नेपोलियन) 32.जीवन में वही असफल होते जो कमजोर होते हैं। (कन्फ्यूश्यिस) 33.असफलता जननी है सफलता की (स्वेट मार्डन) 34.बिना असफलता के सफलता नहीं मिलती असफलता तो परीक्षा लेती है कि उसकी वहिन सफलता के योग्य तुम हो भी या नहीं (कालीइल) 35.दुख में किसी के आंचल का सहारा बड़ी सांत्वना देता है। (शेक्सीपीयर) 36.आंचल फैलाकर भीख मांगने से मर जाना अच्छा है। आंसू पी लेने वाला वास्तव में वीतरागी होता है। (शंकराचार्य) 37.अपना चेहरा आईना में बाद में देखना पहले अपने मन में अपना चेहरा देखना। (चाणक्य) 38.नारी इस जगत में सबसे बड़ा आकर्षण है। (भर्तृहरि) 39.अपनी आकांक्षा व्यक्त मत करो मौन रहकर साकार करों अपनी आत्मा पर हाथ रखकर स्वयं निर्णय करो कि आज तुमने कौन सा पुण्य कौन सा पाप किया है। तुम्हारी आत्मा सबसे बड़ा न्यायधीश है। (टालस्टाय) 40.अपनी आत्मा की आवाज सुनो और वैसा ही कार्य करो तुम्हारा सबसे बड़ा पथदर्शक तुम्हारी आत्मा है। (चार्वाक) 41.आत्मा शुद्ध रखो सब शुद्ध रहेगा। (चार्वाक) 42.आदत को अपना गुलाम बनाओं आदत के गुलाम मत बनों तभी तुम आदती बन सकोगे। 43.आदत पुण्य को भी पाप बना देती है। (स्वामी विवेकानन्द) 44.आदेश देना आसान है। उसका पालन करना कठिन है। (गर्ग सहिता) 45.जरा सी भी आनाकानी करने वालो से सावधान रहो। (चाणक्य) 46.हर आफत के लिये स्वयं जिम्मेदार है। (इमरसन) 47.आफत के पर काले तुम्हारी धैर्य की परीक्षा लेने आते हैं। (इमरसन) 48.हरबात में अपनी टांग अड़ाकर आफत मोल मत लो। (सुकरात) 49.पुरुष को अपनी आय स्त्री को अपनी आयु सदा गुप्त रखनी चाहिये। (जार्ज) 50.आवेश से मुक्त मनुष्य सच्चा संत होता है। (संत ज्ञानेश्वर) 51.आसमान की ओर देखकर चलोगे तो मुँह के बल गिरोगे निगाह नीचे कर के चलो। 52.क्या तुम लंगड़े हो जो दूसरों का आसरा ताक रहे हो। 53.आस्था हम भारतीयों का जन्मजात गुण है यही हमारा धर्म हमारी संस्कृति के अक्षय रहने का कारण है। (स्वामी विवेकानन्द) 54.आहार तो कुत्ता भी प्राप्त कर लेता है। तुमने प्राप्त किया तो क्या किया यश प्राप्त करो तो जाने। (शेखसादी) 55.सात्विक आहार मानव मन को शक्तिशाली बनाता है। (चरक संहिता) 56.जो इन्द्रियों के वशीभूत नहीं वही महात्मा है। 57.इन्द्रिय सुख ने ही तो दुख को पाल रखा है। (नानकदेव) 58.इच्छाओं ने ही मनुष्य को संघर्षरत कर रखा है। (वैवस्त मनु) 59.जो तुम्हारी बात सुनते समय इधर उधर देखे उस पर कभी विश्वास न करना। (चाणक्य) 60.जो एक दिशा में नहीं इधर—उधर दौड़ता है वह जीवन में खाली रह जाता है (नजरूल इस्लाम) 61.मुसीबत तुम्हारी इम्तहान लेने आती है कि कितने मजबूत हो। 62.इश्क अच्छे अच्छो को दीवाना बना देता है। (नजरूल) 63.जो इस पार या उस पार का संकल्प करते हैं वही विजेता है। मंझधार वाला तो बीच में ही डूब मरता है। (सुकरात) 64.इह लोक परलोक वेववूफों ने बना रखे हैं सब कुछ इसी धरती पर है जैसा करोगे वैसा पाओगे (स्वामी विवेकानंद) 65.ईमान न बेचो, सब बेच देना (सुकरात) 66.जिसका ईमान नहीं वह इंसान नहीं (शेखसादी) right”200px”]] 67.ईमानदार थप्पड़ खाता है बेईमान हलुआ ईमानदार थप्पड़ खाकर भी जिन्दा रहता है पर बेईमान हलुआ खाकर दस्त करते करते पेट पकड़कर मर जाता है। (खलील जिब्रान) 68.तेरा ईमान कहाँ है ? अगर घर रख आया है। तो बादशाह की नौकरी कर। साथ लेकर आया है। तो रोज गालियाँ सुनेगा और नौकरी से निकाल दिया जायेगा। (अफलातून) 69.ईष्र्या मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन है। (चार्वाक्) 70.ईष्र्या की अग्नि तुम्हारे सत्कर्म राख बना देती है। ’(आिंगरस) 71.ईष्र्या मनुष्य का निवास करती है। (याइवल्क्य) 72.सांप से भी ज्यादा विषैला ईष्र्यालू होता है। ईष्र्या की आग आदमी को अंधा बना देती है।(प्लेटो) 73.दूर से उज्जवल दिख पड़ने वाली हर वस्तु सुन्दर नहीं होती। (शेखसादी) 74.हर उज्जवल वस्तु में जल्दी दाग लग जाते हैं। निर्मल हृदय शीघ्र दूषित होता है। (प्लेटो) 75.उतावलापन बनता काम बिगाड़ देता है (चेखव) 76.उत्साह से सदा काम करने वाले को मेरा नमस्कार वह हमेशा विजय प्राप्त करता है। (स्टालिन) 77.उत्साह सफलता को निमंत्रण देता है (अरविन्द) 78.दूसरे का उपहास उड़ाने से पहले अपने को देख लो। (चाणक्य) 79.अपेक्षा सबसे बड़ा दण्ड है (भ. बुद्ध) 80.दूध में जल्दी उबाल आता है दुर्बल व्यक्ति जल्दी ताव खाता है। (पाइथोगोरस) 81.उम्मीद पर दुनियाँ टिकी है। (कहावत) 82.जब तक नीचे नहीं गिरोगे तब तक ऊँचे नहीं उठ सकते। (आदिशंकराचार्य) 83.मनुष्य सब ऋणों से मुक्त हो सकता है। पितृऋण मातृऋण सभी से पर गुरुऋण से कभी मुक्तनहीं हो सकता। (सुपूत) 84.जहाँ सब एक है वहां सब कुछ अपने आप खिंचकर चला आता है। एकता सर्वदात्री है। (मनु स्मृति) 85.एकान्त तुम्हारी आत्मा का निरीक्षण के लिये हैं (सुकरात) 86.एकान्त में भी सर्तक रहो क्योंकि दीवारों के भी कान होते हैं। (कहावत) 87.एकाग्र रहने वाला सदा सफलता का वरण करता है। (मुनि) 88.एकाग्र में किया गया प्रत्येक निर्णय आत्मा का निर्णय होता है। (अरविन्द) 89.एकाग्रता से प्रभु स्मरण करो सब कार्य बनेगे। (माँ आनन्दमयी) 90.संतोष सबसे बड़ा ऐश्वर्य है। (चाणक्य) 91.किसी की बुराई से पहले होठ सिल तो। (सुकरात) 92.स्त्री के इशारे पर चलने वाला पुरुष औधे मुंह गिरता है। (सुकरात) 93.अपनी औकात कभी मत भूलो। (अरस्तु) 94.औरत के फंदे से आज तक कोई नहीं बच सका। (शेखसादी) 95.हीरा कंकड़ों में ही मिलता है। (स्वामी सत्यदेव) 96.कटु शब्द बाण से गहरा घाव करते हैं। (शाक्यदेव) 97.कठिन कार्य करने वाला इतिहास में अपना नाम लिख जाता है। (सुकरात) 98.खीरा की गरदन काटकर फेन निकालने से कडुवापन मिटता है इसी प्रकार दंड से ही मनुष्य का कड़ुवापन कम होता है। (रहीम) 99.कण—कण में भगवान हैं (ब्रह्मसूत्र) 100.एक छोटा सा कण भी रखता है। (चाणक्य) 101.कण जितना ही सूक्ष्म होगा वह उतना ही अधिक शक्तिशाली होगा। (आइसंटीन) 102.कण—कण जुटाने पर ही घोसला बनता है। (कौटिल्य) 103.इस समाज का कण—कण नर्तन कर रहा है। (तुलसीदास) 104.जिसकी जिह्वा कतरनी सी चलती है वह कभी भी विश्वास के पात्र नहीं होते। (विदुर) 105.कोई कदम उठाने से पहले दस बार सोचो (सुकरात) 106.हर कदम फूककर रखो सुखी रहोगे (अरस्तु) 107.कदम मजबूत रखो आँधी पानी कुछ नहीं बिगाड़ सकते तुम्हारे मन में साहस है तो दुख कीआँधी कुछ नहीं बिगाड़ सकते। (शेखशादी) 108.विषधर के साथ रहना अच्छा कपटी की छाया से भी दूर रहो। (चाणक्य) 109.देशभक्त हमेशा कफन बाँधकर चलते हैं। (सरदार भगत सिंह) 110.अपनी कमजोरी को कभी न कहो एक दिन मुँह की खाओगे। 111.कमजोर की बीबी सबकी भाभी होती है बलवान की बीबी सबकी बहन होती है। तुम्हारी कमजोरी अगले की ताकत है। (बाबर) 112.औरत की कमर और मर्द की छाती में सबसे ज्यादा ताकत होती है। 113.कीचड़ में कमल होता है। बुराई से ही अच्छाई का जन्म होता है। सुभाषित कमल खिलता है। तो भंवरे आते ही है। यह गुण है तो प्रशंसक आयेगी ही। (चाणक्य) 114.भावना से कर्तव्य श्रेष्ठ है। (बाल्मीकि रामायण) 115.कर्तव्य का दूसरा नाम मानवता है। (अष्टावक) 116.कर्तव्य का जिसे ज्ञान नहीं ऐसे साधु की परछाई से भी दूर रहो भाग्य से बड़ा कर्म है। 117.भाग्य से बड़ा कर्म है। (महारथी कर्ण) 118.फल की आशा किये बिना कर्म करते रहो। (भगवत गीता) 119.मनुष्य की अपेक्षा अन्य प्राणी कहीं ज्यादा कर्मठ हैं चींटी की कर्मठता का क्या तुम मुकाबला कर सकते हो एक हजार बार गिरने के बाद भी वह ऊपर चढ़ने का प्रयास करती है(अरस्तु) 120.कलम की मार से भगवान भी डरते हैं। (सुभाषित) 121.माँ का कलेजा संतान के लिये कभी पत्थर नहीं हो सकता। (कहावत) 122.कलेवर मत बदलो आत्मा को बदल लो। (सुकरात) 123.कल्पना सत्य की जननी है। (कहावत) 124.कल्पना की चादर बराबर सदा बुनते रहो चादर न सही रूमाल तो बुन ही जायेगा। (शेक्सपीयर) 125.कष्ट उठाओगे सुख पाओगे। (मैक्सिम) 126.कष्टों का वर्णन कर हम लोगों की सहानुभूति नहीं पाते बल्कि उनकी नजरों में गिर जाते हैं।(चाणक्य) 127.कसम खाने वाला व्यक्ति कभी विश्वास का पात्र नहीं होता। (चाणक्य)